मंदसौर जिलासीतामऊ

सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा के व्यापार के लिए नहीं, समाज के लिए समाज द्वारा चलाया गया विद्या का मंदिर है -श्री मिश्रा

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नई शिक्षा व्यवस्था में छात्र पढ़कर नौकरी के लिए नहीं, नौकरी देने वाले होंगे – मंत्री श्री डंग


संस्कार दर्शन
सीतामऊ। जिस प्रकार से सम्मानित जन कि उपस्थिति दर्शाती है कि सरस्वती शिशु मंदिर में आपकी कितनी श्रद्धा है।दान यु ही नहीं मिलता है दान का उचित उपयोग हो, उस भाव से किया गया कार्य में दान प्राप्त होता है। उक्त उद्बोधन विद्या भारती मालवा प्रांत के संगठन मंत्री श्री अखिलेश मिश्रा ने सीतामऊ सरस्वती शिशु मंदिर के नवीन भवन के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किए।
श्री मिश्रा ने कहा कि 1954 से गोरखपुर उप्र से शुरूवात होकर देश के हर राज्य में है 24 हजार सशिमं है उज्जैन मालवा प्रांत में 6500 है जिसका संचालन समाज स्वयं करता है विश्व का सबसे बड़ा एलोमनी पूर्व छात्र परिषद में है। हमारे यहां शिक्षण संस्थाओं का संचालन गांव और शहर के बुद्धिजीवी लोगों के विचारों से संचालित होते हैं। एक समय पहले गुरुकुल संचालित होते थे। मथुरा में श्रीकृष्ण गुरुकुल में अध्ययन नहीं करते हुए उज्जैन में इसलिए किया कि वहां राजसी शिक्षा राजा पुत्रों को शिक्षा मिलती थी। परंतु उज्जैन के सांदीपनी ऋषि के गुरुकुल में गरीब अमीर सबकी पढाई होती थी। वहां समानता का भाव था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने वहां अध्ययन किया। ऐसे ही सरस्वती शिशु मंदिर का संचालन समानता का भाव लेकर चलते हैं यहां शिक्षा का व्यापार नहीं सेवा और समर्पण के भाव और राष्ट्र के प्रगति के लिए कार्य करते हैं। मोदी जी जब एक बैठक में आईएस बच्चों से मिले और उनमें राष्ट्र भाव देख गदगद दिखाई दिए। जब उसने पूछा गया तो उनमें अधिकांश छात्र सरस्वती शिशु मंदिर के थे।
श्री मिश्रा ने कहा कि अंग्रेजों ने देश ही नहीं बल्की देश के दिमाग पर भी राज करने कि योजना अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से कि थी सन् 1835 में लोर्डमेकाले कि निती थी कि दिखने में भारतीय पर मन से अंग्रेज बनाने का लक्ष्य था। आज के स्कूलों में देखनो को मिलता है। संस्कृति संस्कारों से ओतप्रोत हमारी मातृभाषा हिंदी और संस्कृत है । आज छोटे छोटे बच्चों पर हम अंग्रेजी शिक्षा के लिए दबाव डाल रहे हैं कान्वेंट स्कूलों में भेज रहे हैं। अविकसित छोटे से दिमाग कितना सहन कर सकता हम यह नहीं देखते हैं। बच्चा शुरू के पांच वर्ष उम्र तक मां से सिखता है। फिर उसका मानसिक विकास विद्यालय में छोटी कक्षा नर्सरी से होता है। बच्चें की पहली शिक्षक माता है कहते हैं मातृ देवो भव पितृ देवो भव गुरु देवो भव है। श्री मिश्रा ने कहा कि हमारा लक्ष्य अनाथ आश्रम खोलना नहीं है। हमारा लक्ष्य परिवार को जोड़ कर संस्कृति संस्कारों को जागृत करना है। सरस्वती शिशु मंदिर सामाजिक क्षेत्र और समग्र विकास को लेकर कार्य करता है। सरस्वती शिशु मंदिर समाज द्वारा समाज कि पीढ़ी को संस्कारित शिक्षा प्रदान करने वाला गुरुकुल है।
समारोह के विशेष अतिथि कैबिनेट मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि संघ में प्रचारक जी जो कार्य करते हैं वे समाज के सम्मानित संत हैं। छोटी काशी में स्वागत है। शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो पीएगा वो दहाड़ेगा है। सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाले बच्चों में एक अलग झलक देखने को मिलती हैं। आज बड़े बड़े अधिकारी कलेक्टर देखने को मिल रहे उनमें राष्ट्र प्रेम का भाव है वो शिशु मंदिर कि देन है। सीएम राइस स्कूल में शिक्षा व्यवस्था आज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री जी ने बनाई है।
मंत्री श्री डंग ने भारत सरकार द्वारा लागू नयी शिक्षा नीति को लेकर कहा कि अभी तक पढ़ाई लिखाई कर छात्र कलेक्टर एसपी डाक्टर बनने कि तैयारी करते हैं पर उनके पद से कई गुना ज्यादा छात्र रहते हैं ऐसे में सब छात्रों को नौकरी नहीं मिलती परंतु वर्तमान में नई शिक्षण व्यवस्था नौकरी पाने के लक्ष्य से नहीं है यह शिक्षा नौकरी देने वाली है। समारोह में सांसद जी कि निधि कि घोषणा पर मंत्री श्री डंग ने धन्यवाद दिया और अपनी और से माता-पिता के नाम से स्वनिधी से कक्ष निर्माण कि घोषणा कि। मंत्री श्री डंग ने अपने छात्र जीवन कि यादों का बताते हुए कहा कि निशानेबाजी में 13 वें नंबर में भारत में 1988 में मिलेक्ट्री में दिल्ली में राष्ट्रपति के सम्मिलित होने का अवसर मिला। जाना कुछ और था पर सुवासरा सरपंच पद के साथ राजनीति में जा पहुंचा।मंत्री श्री डंग ने अंत में एक ओजस्वी शेयर करो ऐसा कि मिशाल बन जाए कुछ ऐसा करो ऐसा कि नाम हो जाए। सुनाते हुए उपस्थित जनों से बहनों कि लाड़ली बहना योजना में जोड़ने में मदद करने और बहनों से अपना पंजीयन और अपनी साथी बहनों के पंजीयन करवाने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि सांसद श्री सुधीर गुप्ता कि अनुपस्थित में उनकी और से सांसद प्रतिनिधि दीपक राठौर ने सांसद श्री सुधीर गुप्ता के संदेश को सुनाते हुए नवीन भवन कि बधाई शुभकामनाए दी और सांसद निधि से आठ लाख रूपये देने कि घोषणा कि।
समारोह में संस्था के व्यवस्थापक श्री अशोक घाटिया ने अपने प्रतिवेदन ने कहा कि सन 2004 से स्थापित किया संस्था निरंतर संचालित की जा रही है यहां पर 155 भैया बहनों तथा 14 आचार्य दीदियों का परिवार है यह विद्यालय नर्सरी से अष्टमी तक संचालित है अब विद्या का मंदिर वट वृक्ष के रूप में अपना आकार परिवर्तन करने जा रहा है कोराना काल में भी विद्यालय के आचार्य पूर्व छात्र परिवार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रधान की हूं विद्यालय परिवार द्वारा विद्यारंभ संस्कार गुरु पूर्णिमा उत्सव विभिन्न पर्व महोत्सव फोटो रोपण कार्यक्रम संस्कृति ज्ञान परीक्षा ,चित्रकला खेलकूद शारीरिक बौद्धिक प्रतियोगिता हो या आजादी के अमृत महोत्सव जैसे कई प्रतियोगिताएं आयोजनों को किया गया। 18 वर्षों के संघर्ष के पश्चात दृढ़ संकल्प शक्ति समर्पण भाव एवं समाज जन जनप्रतिनिधियों के सहयोग से 60 लाख रुपए की लागत से नवनिर्मित 6000 वर्ग फीट पर नवीन विद्यालय भवन का निर्माण का कार्य किया गया। विद्यालय का भवन निर्माण के साथी आगामी वर्षों में ई-लाइब्रेरी, तरणताल सहित कई व्यवस्थाओं के साथ यह विद्यालय आधुनिकता की दृष्टि को रखते हुए समागम का इस परिसर में देखने को प्राप्त होगा।
समारोह में स्वागत भाषण विद्यालय प्राचार्य श्री रोहित जैन ने दिया।
अतिथियों का स्वागत संस्था के पदाधिकारी नीलेश पटवा तरुण घटिया डॉ राजमल सेठिया राधेश्याम जोशी पंकज जैन यशपाल पंवार , सुरेश गुप्ता विनोद राठौर द्वारा किया गया।
इस अवसर पर विद्यालय के भैया बहनों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
समारोह में बड़ी संख्या में विद्यालय परिवार के भैया बहनों के साथ आचार्य दीदियां तथा पूर्व छात्र पूर्व आचार्य दीदियां और गणमान्य नागरिक अभिभावक उपस्थित रहे।
समारोह के के प्रारंभ में अतिथि जनों द्वारा विद्यालय के नवीन भवन का फिता काटकर लोकार्पण किया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि विद्या भारती मालवा संगठन मंत्री श्री अखिलेश मिश्रा, श्री महादेव यादव बड़वानी विशेष अतिथि कैबिनेट मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग अतिथि समाजसेवी श्री यशपाल सिंह पंवार संस्था कोषाध्यक्ष श्री सुरेश गुप्ता ने मां सरस्वती पूजा अर्चना कर दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। समारोह का संचालन सुश्री संगीता हिलोरीया दीदी ने एवं आभार अध्यक्ष श्री दीपक राठौर ने व्यक्त किया।

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