शामगढ़धर्म संस्कृतिमंदसौर जिला
महिषासुरमर्दिनी देवी माता मंदिर पर नवरात्रि नवमी को धधकते अंगारों पर भक्तजन निकले , भंडारा संपन्न

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(कमल प्रजापति)
नगर की आराध्य देवी मां महिषासुर मर्दिनी का अति प्राचीन मंदिर है , जिसे कांच के मंदिर से भी जाना जाता है , परंपरानुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि पर दोपहर पंडित राधेश्याम पांडे/ पं राकेश पांडे के सानिध्य में हवन- पूर्णाहुति सम्पन्न हुआ।
हवन के यजमान डां मुकेश चौहान धर्म पत्नी चंदा चौहान/ कृष्णा चौहान द्वारा हवन में आहुतियां दी गई/ पूर्णाहुति महाआरती के साथ चुल का आयोजन हुआ , करीब 10 से 15 फीट गहरा एक लकड़ी से लकड़ी मिलाकर पुजारी दिलीप नाथ द्वारा चूल प्रज्वलित की जाती है , फिर जब उस लकड़ी के अंगारे होने के पश्चात पुजारी दिलीपजी नाथ मां महिषासुर मर्दिनी के रूप में एक हाथ में खप्पर एक हाथ में तलवार लिए माताजी के जयकारों के बीच धधकते हुए अंगारों चुल में चलकर निकलते हैं , पीछे- पीछे महिला पुरुष एवं बच्चों भी निकलते हैं , धधकती आग किसी भी भक्तजन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है , यह साक्षात चमत्कार है।
चूल पश्चात 9 कन्याओं को भोजन प्रसादी कराया एवं पूजा अर्चना कर महा भंडारे का आयोजन संपन्न हुआ , जो देर रात तक चलता रहा , बड़ी संख्या में भक्तों ने माता के दर्शन कर प्रसादी का लाभ लिया ।
भक्तमंडल के मुकेश दानगढ द्वारा बताया गया की ये पंरपरा प्राचीन समय से चली आ रही है वहीं बलवंत सिंह पंवार द्वारा जानकारी दी गई की मां सभी भक्तों को तीन रुप में दर्शन देती प्रात: बाल्य अवस्था /दोपहर युवा अवस्था में एवं सांयकाल वृध्दाअवस्था में दर्शन देती है।माता की प्रसिद्धि दूर दूर फैली है हजारों की संख्या में यहां भक्तजन अपनी मूराद लेके आते हैं ।
आयोजन में चाक-चौबंद पुलिस प्रशासन थाना प्रभारी कमलेश प्रजापति एवं पूरी टीम मुस्तैदी के साथ दिखाई देकर सुरक्षा में जुटे रहे।