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पंच प्यारे समूह के तत्वाधान में शहीद दिवस पर वीर रस के कवियों ने कवि सम्मेलन में शमा बांधी

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मल्हारगढ़। नगर की सामाजिक संस्था पंच प्यारे समूह के तत्वाधान में बलिदान दिवस के उपलक्ष में बस स्टैंड के समीप वीर रस का कवि सम्मेलन आयोजित किया गया समारोह वरिष्ठ समाजसेवी पारस जैन के मुख्य आतिथ्य, संस्था संरक्षक ओमप्रकाश बटवाल की अध्यक्षता, समाजसेवी पारस नागोरी नीमच, नगर परिषद अध्यक्ष शर्मिला प्रकाश कच्छावा ,के विशेष आतिथ्य में आयोजित हुआ |कवि सम्मेलन में मालवा मेवाड़ के 8 वीर रस कवियों ने देर रात तक काव्य पाठ किया वहीं प्रतापगढ़ के अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं कवि विजयसिंह नाहटा का पंच प्यारे समूह द्वारा मंच पर स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया गया|

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जेके लक्ष्मी सीमेंट के क्षेत्रीय संचालक पारस जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम बलिदान दिवस मना रहे हैं इन तीन राष्ट्र भक्तों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं मगर हमें सोचना होगा कि यह किस माटी के थे? इनमें क्या सोच थी ?तीनों कुशाग्र बुद्धि के होकर भी हंसते-हंसते राष्ट्र की आजादी की खातिर फांसी के फंदे पर झूल गए। श्री जैन ने कहा कि उन त्रिमूर्ति ने जो देश के लिए सपना देखा था क्या हम उनके सपने को साकार कर रहे हैं आपने कहा कि हम बुराईयो को आज ही त्याग करने का संकल्प लेकर इन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दे।

समारोह को संबोधित करते हुए प्रतापगढ़ के डिप्टी कलेक्टर श्री नाहटा ने कहा कि आजादी के आंदोलन की गहराइयों पर चिंतन करें कि चिंगारी का मूल कारण क्या था? आपने कहा कि तीनों सपूतों की शहादत के ऊपर ही आजादी का भवन निर्मित हुआ है। समारोह को समाजसेवी ओमप्रकाश बटवाल, समाजसेवी पारस नागोरी ,नगर परिषद अध्यक्ष शर्मिला प्रकाश कच्छावा , शिक्षाविद महेश विजयवर्गीय ने भी संबोधित किया।

वीर रस के कवि सम्मेलन की शुरुआत बांसवाड़ा से आई सु श्री रोहिणी पंड्या ने मां शारदा की वंदना से की| अंशुमन आजाद बिनोता ने अपनी कविता” भगत मौत खड़ी है सामने डर नहीं लगता। मौत को महबूबा कहने वाला सरदार भगत सिंह था “तिरंगे में लिपटे सैनिक के सम्मान में बेटी की भावना पर आधारित कविता भी सुनाई ।

जावरा से आए तेजपाल सिंह सिसोदिया ने “भारत की वो आन है वो भारत की शान है ” मेरी कलम ठंडे पड़े रक्त की को बुलाती है मेरी कलम राजपूती इतिहास को बतला ती है” ऐसी और भी कविताओं को सुनाया।

मल्हारगढ़ की माटी के वीर रस कवि मुकेश आनंद भावसार ने” सूर बगावत के निकले तो वीरों को लड़ना पड़ता है नहीं मिलती आजादी केवल खादी और चर्खे के बल पर आजादी के लिए तो भगत सिंह को फांसी पर चढ़ना पड़ता है “जैसी और भी कहीं वीर रस की कविताओं को सुनाया |

कवित्री रोहिणी पंड्या ने क्या है भारतीय बेटी पर आधारित द्वार पर खड़ी हूं या तो लेने प्राण एवं मां की परिभाषा पर आधारित” पवन सी पावन है नीर जैसी ” और भी कई कविताओं को सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया|

इंदौर के कवि प्रद्युमन भानु शर्मा ने हल्दीघाटी युद्ध के दृश्य पर शानदार कविता चित्र था विचित्र चित्र चित्र जो बना सचित्र” एवं राजस्थान पर आधारित “अपनों को छोड़ो लोग गैरों पर मिटते हैं नारियों ने युद्ध लड़ा मेरे राजस्थान में “जैसी और भी कई कविताओं का पाठ किया |

संदीप शौर्य ने “शून्य से आरंभ हुआ पहुंचा शिखर तक” एवं महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक तथा हाथी की स्वामी भक्ति पर आधारित एक शानदार कविता का पाठ किया |मंच के संचालक अजय हिंदुस्तानी ने” एक दिन एक भ्रष्ट नेता को सच्चाई बताने वाली मशीन पर बिठाया” एवं “एक दिन राजनीति मेरे सपने में आई राजनीति से पूछा तेरे वजह से हम पर क्या-क्या बीत जाती है हर बार देश हार जाता है और तू जीत जाती है “जैसी व्यंग्य रचनाओं को सुना कर खूब दाद बटोरी|

अंत में विजय सिंह नाहटा प्रतापगढ़ ने अपने गीत में “जिंदगी जी रहा हूं मैं बस में नेह बहा के सच का आकाश संकल्प था वरदान दो” जैसी और भी कई शानदार कविताओं का रसपान करवाया एवं श्रोताओं की वाहवाही लूटी|

प्रारंभ में शहीदों की तस्वीर पर दीप प्रज्वलित किया गया |अतिथियों का स्वागत पंच प्यारे समूह के मांगीलाल भाना ,रमेश विजय वर्गीय, नाथूलाल साहू, रामेश्वर गौरी ,प्रकाश माली, दिनेश प्रजापति, वर्धमान जैन, चांदमल राठोर, शिवलाल पाटीदार, सत्येंद्र पाटीदार , मनोहर भाटी सहित गणमान्य नागरिकों ने किया | स्मृति चिन्ह का वाचन ओम प्रकाश बटवाल ने किया |कार्यक्रम का संचालन धर्मेंद्र गहलोत ने किया तथा आभार संस्था प्रमुख मांगीलाल भाना ने व्यक्त किया|

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