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जहां-जहां रघुनाथजी का कीर्तन होता है हनुमानजी की कृपा होती है- पं. भीमाशंकरजी

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पं. श्री भीमाशंकरजी के सानिध्य में नरसिंहपुरा में आयोजित भागवत कथा का हुआ समापन
कथा समापन पर श्री भीमाशंकरजी का हुआ सम्मान

मन्दसौर। मंगलवार को नरसिंहपुरा स्थित कुमावत धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन हुआ। कथा समापन अवसर पर कुमावत समाज की गरिमामय उपस्थिति में कथा आयोजक अडानिया परिवार ने भागवत कथा प्रवक्ता पं. श्री भीमाशंकरजी शर्मा का शाल श्रीफल भेंटकर व माला पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया। 26 जुलाई से 1 अगस्त तक पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने धर्मालुजनों को भागवत कथा का रसपान कराया। इसी के निमित्त उनका सम्मान अडानिया परिवार के गेंदमल अडानिया, सत्यनारायण अडानिया, अर्जुन अडानिया, कोमल अडानिया, जितेन्द्र अडानिया, विजय अडानिया, चिराग अडानिया के द्वारा किया गया।
कथा के अंतिम दिवस पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने श्रीमद् भागवत का महत्व बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत केवल धर्म ग्रंथ नहीं ज्ञान की कुंजी है। जो भी धर्मालुजन इसे मनोभाव से श्रवण कराते है वे जन्म व मृत्यु के रहस्य को समझ पाते है तथा उनके मन से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। नरसिंहपुरा में लम्बे समय बाद भागवत कथा हुई उसका पुरे कुमावत समाज व अन्य धर्मालुजनों ने लाभ लिया इसके लिये कथा आयोजक बधाई के पात्र है। संसार में धनवानों की कोई कमी नहीं है। लेकिन वे लोग श्रेष्ठ है जो अपने धन को धर्म पर खर्च करते है। अडानिया परिवार भी उन्हीं में से एक है। आपने कहा कि भागवत कथा में राजा परीक्षित जो कि अर्जुन के पौत्र है वे शुकदेवजी से पूरे सात दिवस कथा श्रवण कर मोक्ष प्राप्त करते है। यदि हम भी पुरे मनोभाव से भागवतजी को श्रवण करें तो हम भी मोक्षगामी बनेंगे।
जहां-जहां रघुनाथजी का कीर्तन होता है हनुमानजी की कृपा होती है- पं. भीमाशंकरजी ने कहा कि जहां-जहां भी प्रभु राम, प्रभु कृष्ण का कीर्तन होता है वहां हनुमानजी की कृपा होती ही है। भागवत कथा भी राम कृष्ण की भक्ति का माध्यम है जो भी कथा कराते है सुनते है उन पर हनुमानजी की कृपा स्वयं ही हो जाती है।
जैसी दृष्टि होगी वैसी सृष्टि होगी- पं. भीमाशंकरजी ने कहा कि मानव को अपनी दृष्टि को संयमित रखना चाहिये, हमारी दृष्टि जैसी होगी हमें वैसी ही सृष्टि दिखाई देगी यदि हम क्रोध में किसी को देखेंगे तो हमें उसका स्वरूप भिन्न दिखाई देगा।
कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग श्रवण कराया- पं. भीमाशंकरजी  ने भागवत कथा के षष्टम दिवस सोमवार की शाम को कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग श्रवण कराया। आपने षष्टम दिवस सोमवार की शाम को कृष्ण रुक्मणी विवाह का प्रसंग श्रवण कराया। आपने बताया कि रुक्मणी का भाई रुकमणी अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था लेकिन कृष्ण को मन ही मन प्रेम करने वाली रूकमणी उससे विवाह नहीं करना चाहती थी। रूकमणी ने संदेश भेजकर कृष्ण को बुलाया। कृष्ण ने रूकमणी की विनती कर उसका हरण किया और विवाह किया।
इन्होंनेे की भागवत कथा श्रवण – भागवत कथा के अंतिम दिवस भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर, नपाध्यक्ष रमादेवी गुर्जर ने भागवत कथा श्रवण की।
इन्होंनेे किया पोथी पूजन- भागवत कथा में अडानिया परिवार के गेंदमल अडानिया, सत्यनारायण अडानिया, अर्जुन अडानिया, कोमल अडानिया, विजय अडानिया, चिराग अडानिया, धर्मेन्द्र अडानिया आदि ने भागवत पोथी की आरती की।

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