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सभी को प्रणाम करने की आदत डालें, निंदक को भी प्रणाम करें – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
रविवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि भगवान का स्वरूप दिव्य और विराट है। चारों दिशाओं, समुद्र, नदी, वायु, पर्वत, पहाड, पेड पौधें सभी में भगवान का वास होता है। आपने बताया कि भगवान का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें गुरू की आवश्यकता होती है बिना गुरू के ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए ईश्वर को समझने और उनसे जुडने से पहले गुरू बनाओं और ईश्वर के पूर्ण रूप को समझने का प्रयास करों।
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि अपने जीवन में सभी में ईश्वर का वास मानकर उसे प्रणाम करने की आदत डाल लों अपने निंदक को भी प्रणाम करों फिर देखों सभी तुम्हें अपने दिखायें देगे। आपने कहा कि श्रीमद भागवत कथा का सिद्धांत है कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य होना चाहिए। इनमें से एक भी वंचित रहें तो कथा का पूर्ण लाभ नहीं मिलता इसलिए तीनों आवश्यक होते है। कथा मन लगाकर सुनोंगे तो भक्ति के साथ ज्ञान और वैराग्य दोनों आयेंगे।
इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, मदनलाल गेहलोत, पं शिवनारायण शर्मा, ओमनारायण कालूखेडा, पुरूषोत्तम बडसोलिया, राधेश्याम गर्ग, इंजिनियर आरसी पाण्डे, आर सी पंवार, प्रहलाद काबरा, राव विजयसिंह, कन्हैयालाल रायसिंघानी, शंकरलाल सोनी, सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थि

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