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मप्र की भांति हर राज्य में शासन एवं समाज के सहयोग से एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो – गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज

मप्र की भांति हर राज्य में शासन एवं समाज के सहयोग से एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो – गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज

डग(संजय) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित “गोवंश रक्षा वर्ष” के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज ने बताया कि जैसे वर्षा जल की बूंदों को नहीं गिना जा सकता है ठीक उसी प्रकार गौमाता के गुणों को नहीं पहचाना जा सकता है, कुछ लोगों को लगता है गौमाता एक सामान्य प्राणी है, पशु है, दूध देने वाला जीव मात्र है।

कुछ लोग गाय की आराधना स्वीकार नहीं कर सकते, उनकी आरती करना उन्हें ठीक नहीं लगता लेकिन अगर साक्षात भगवान को पाना है तो फिर गोमाता की सेवा करनी होंगी और भारतीय नूतन वर्ष विक्रम संवत् २०८२ के प्रथम दिवस पर गोमाता के प्रथम दर्शन पाकर अति आनंद की अनुभूति हुई क्योंकि भगवती गोमाता का यह तीर्थ सिद्ध तीर्थ बन गया है। क् एक वर्ष से जो अनुष्ठान यहां चला है , उससे गौसेवा एवं गो संरक्षण को बल मिला है और जहां सेवा होती है भगवान वहां साधन देते है और विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य में तो शासन एवं समाज दोनों ने मिलकर भगवती गोमाता की सेवा कर रहें है और अभ्यारण्य की 6700 गोवंश स्वस्थ एवं प्रसन्न है ।

पूज्य महाराज जी ने भारत सरकार सहित देश की सभी राज्य सरकारों से आह्वान किया कि मध्यप्रदेश के इस गो अभयारण्य की भांति सभी राज्यों में एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो जाए जहां मध्यप्रदेश की भांति शासन एवं समाज मिलकर गोपालानंद जी महाराज जैसे दिव्य संतो के सानिध्य में गोसेवा में जुटे तो भारत में गोमाता को स्वत: सम्मान मिल जाएगा ।

महाराज जी ने बताया कि एक वर्षीय गौ आराधना महामहोत्सव में पूरे वर्ष भर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से गौमाता के लिए चुनर यात्रा लेकर आए, जिस प्रकार अपनी मां बहन के लिए ओढ़नी लेकर जाने का जो भाव मन में होता है ठीक वही भाव गौमाता को चुनर ओढ़ाने के समय देखा उससे मन खूब आनंदित हुआ। जिस जिस ने पूरे वर्ष भर में गौमाता को चुनर ओढ़ाई वह निश्चित रूप से गौमाता को तकलीफ नहीं पहुंचाएंगे।

महाराज जी ने सभी देश वासियों से आग्रह किया कि गर्मी का मौसम है ओर आप जहां भी हो वहां गोमाता के पीने के पानी की व्यवस्था अवश्य करें क्योंकि गोमाता को पानी पिलाने से ठाकुर जी प्रसन्न होते है साथ ही महाराज ने कहां कि जब भी आप,सत्संग ,मंदिर एवं गोशालाओं में जाएं तो अकेले नहीं जाओ, सबको साथ लेकर जाओ क्योंकि जीवों के सम्मुख रहने से भगवान राजी होते है ।

महाराज जी ने देश के राजनेताओं को नसीहत देते हुए कहां कि देश के बड़े बड़े राजनेता अपने घरों पर गोमाता रखकर या गोमाता को रोटी खिलाकर अपना फोटो तो खींचवा लेते है,लेकिन जब गोमाता को सम्मान दिलाने की बात आती है तब वे मौन हो जाते ,देश के उन राजनेताओं को जिनसे देश एवं सनातन को अपेक्षा है वे तो कम से कम अपनी कथनी करनी में भेद न रखें साथ ही महाराज जी ने गोमाता को राजमाता का सम्मान देने वालों को भी याद दिलाया कि जिन राज्यों में गौमाता को राज्य माता का दर्जा दिया है, उनको चाहिए कि वह गौमाता को वह अधिकार भी देवे और राजनैतिक पार्टिया सिर्फ वोटों के लालच के लिए गौमाता का उपयोग करना बंद करें ।

 

*उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास के न्यासी बोर्ड केंद्रीय कार्यकारिणी एवं सुरभि प्रज्ञा परिषद बैठक सायंकाल 06 बजे से 08 बजे तक गो अभयारण्य में पूज्य संतो के सानिध्य में आयोजित होने जा रही है*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के बीकानेर के देरासर, से रामलाल गुसाईसर,हुक्माराम भाई ,झालावाड़ जिले के बोलियाबारी ग्राम के ग्रामवासियों एवं मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के छापीहेडा एवं सुसनेर तहसील के सालरिया ग्राम के साथ साथ ग्राम गावडी ग्राम से मनीषा

जिनके पिताजी की आखिरी इच्छा थी कि गौ माता के लिए चुनर ले जाए उनकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई पर अब उनकी बेटी मनीषा और बेटा रघुवीर सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

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