“सांसों से नहीं कदमों से नहीं मोहब्बत से चलती है दुनियां’‘
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दशपुर रंगमंच द्वारा स्थानीय कलाकारों से सजी संगीत संध्या आयोजित की
मन्दसौर। दशपुर रंगमंच द्वारा स्थानीय कलाकारों से सुसज्जित भव्य संगीत संध्या का आयोजन किया गया। फिल्म निर्देशक प्रदीप शर्मा व कलाकारों ने मॉ सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी ने भी आतिथ्य प्रदान किया।
आबिद भाई ने आनन्द फिल्म का गीत ‘‘कहीं दूर जब दिन ढल जाये’‘ गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। आशीष मोदी ने ‘‘ये शाम मस्तानी मदहोश किये जा’‘ गीत गाया। हिमांशु वर्मा ने ‘‘सांसों से नहीं कदमों से नहीं मोहब्बत से चलती है दुनियां’‘ गीत गाया।
स्वाती रिछावरा ने चितचोर फिल्म का गीत ‘‘जब दीप जले आना जब शाम ढले आना’‘ गाकर माहौल परिवर्तित कर दिया। लोकेन्द्र पाण्डे ने अपनी मधुर आवाज मेें गीत गाया ‘‘बड़े अच्छे लगते है ये चांद सितारे’‘। राजकुमार अग्रवाल ने जगजीतसिंह की गजल ‘‘झुकी झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं’‘ गाकर माहौल को रंगीन बना दिया।
महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल प्राचार्य महेश त्रिवेदी ने ‘‘झराह में उनसे मुलाकात हो गई जिससे डरते थे वहीं बात हो गई’‘ गीत गाया। चेतन व्यास ने चांद जैसे मुखड़े पर बिन्दिया सितारा’‘ गीत गाया। हम तेरे प्यार में सारा आलम खो बैठे’‘ गीत को ललिता मेहता ने आवाज दी। राजा भैय्या सोनी ने ‘‘ए मेरे हमसफर इक जरा इंतजार’‘ गीत गाया। तेजकरण चौहान ने जिन्दगी की फिलासफी पर गीत गाया सांसों का कर्ज चुका के सबको जाना है एक दिन’‘
वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी भी माहौल को देखकर उत्साहित हो गये और मधुबन खुशबू देता है सागर सावन देता है’’ गीत गाया। इस दौरान इंदौर में प्राचार्य श्रीमती विमुक्ता शर्मा के दुःखद निधन पर सभी कलाकारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संचालन अभय मेहता ने किया।