भोपालमध्यप्रदेश

मप्र की शराब नीति को कैबिनेट की मंजूरी, प्रदेश में सभी शराब अहाते होंगे बंद

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आकाश गौर

 भोपाल। मप्र की नई शराब नीति को लेकर आखिर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की जीत हो गई है। उमा भारती के सुझावों को नई नीति में शामिल कर लिया गया है।

कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मप्र में शराब को हतोत्साहित करने अहम फैसले लिये गये हैं। पूरे प्रदेश में शराब के अहाते बंद करने और शराब की दूकानों पर बैठकर शराब पीना प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके अलावा सभी धार्मिक व शैक्षणिक स्थानों से शराब की दूकान 100 मीटर दूर होंगीं। मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2010 के बाद मप्र में एक भी नई शराब दूकान नहीं खोली गई है।

उमा भारती की जीत-

राज्य सरकार की इस नई शराब नीति को उमा भारती की जीत माना जा रहा है। शराब अहाते बंद कराने उमा भारती लगातार आन्दोलन कर रही थीं। वे शराब की दुकानों पर पत्थर व गोबर फेंक चुकी थीं। उन्होंने पिछले दिनों ओरछा में शराब की दूकान पर गाय बांध कर संदेश दिया था कि मधुशाला को गौशाला बनाया जाए।

सरकार को होगा आर्थिक नुकसान –

मप्र सरकार को शराब से लगभग 14000 करोड़ की आय होती है। नई नीति से लगभग 3000 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।

संघ के दखल के बाद आई शराब नीति-

सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नागपुर पहुंचकर संघ प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत से मप्र की शराब नीति और उमा भारती के बगावती तेवरों को लेकर चर्चा की थी। बताया जाता है कि संघ प्रमुख ने साफ कहा कि शराब को लेकर जो मुद्दे उमा भारती उठा रही हैं उनसे संघ सहमत है। गुजरात में शराब बंदी के बाद भी वहां भाजपा लगातार जीत रही है तो मप्र में शराब को हतोत्साहित करने का काम तो किया ही जाना चाहिए। संघ प्रमुख से मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने नई शराब नीति के लिए पांच मंत्रियों की एक समिति बनाई। समिति की बैठक कब हुई किसी को नहीं पता, लेकिन मप्र की नई शराब नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।

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