नटनागर शोध संस्थान की हस्तलिखित पांडुलिपियों का डिजिटलाइजेशन का कार्य इतिहास अनुसंधान परिषद करेगा

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सीतामऊ। महाराज कुमार डॉ रघुवीर सिंह द्वारा स्थापित मध्यकालीन भारतीय इतिहास में श्री नटनागर शोध संस्थान विश्व में अपनी प्रसिद्धि लिए हुए हैं इस संस्था में ऐतिहासिक क्षेत्र में अनुसंधानकर्ताओं के लिए यह बड़ा संस्थान है। वर्तमान में इस संस्थान में लगभग 40 हजार दुर्लभ प्रकाशित पुस्तकें तथा हजारों पांडुलिपि या संग्रहित हैं यहां संग्रह ग्रंथों में हिंदी राजस्थानी फारसी मराठी और अंग्रेजी आदि भाषाओं में इतिहास के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। संस्थान में ऐसी सैकड़ों माइक्रो फिल्में एवं फोटोस्टेट प्रतिलिपि उपलब्ध है। ब्रिटिश म्यूजियम लंदन, इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी लंदन, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी लंदन, बोडलिन लाइब्रेरी ऑक्सफोर्ड, विब्लियोथीका नाजनेल पेरिस और यूरोप के साथ अन्य उल्लेखनीय संग्रहों में सुरक्षित पांडुलिपियों के लगभग एक लाख पत्रों की माइक्रो फिल्में में भी यहां उपलब्ध है इनका डिजिटाइजेशन का काम होने पर यह सबको एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगा। श्री नटनगर शोध संस्थान की ऐतिहासिक और उसके विशाल संग्रह की व्यापकता वह महत्व को देखते हुए भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली और नटनगर शोध संस्थान सीतामऊ के मध्य 3 वर्षीय अनुबंध किया गया है। इसमें दोनों संस्थाएं मिलकर भारतीय इतिहास में नवीन अनुसंधान विशेषकर मप्र के संदर्भ में इतिहास संस्कृति कला के परिपेक्ष में सेमिनार करना प्रोजेक्ट बनाकर कार्य करना और संस्थान की महत्वपूर्ण सामग्री का डिजिटाइजेशन पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व को इस साहित्यिक घरों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
नटनगर शोध संस्थान के निर्देशक डॉ विक्रम सिंह भाटी ने बताया कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के मेंबर सेक्रेट्री उमेश अशोक कदम और संस्थान के अध्यक्ष पुरंजय सिंह राठौर के मध्य सांझा भागीदारी को सुदृढ़ करते हुए अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए हैं मध्य प्रदेश में इस प्रकार का साझा बहुउद्देशीय कार्य योजना किसी संस्था के साथ अनुबंध करना इतिहास जगत में उज्जवल अध्याय हैं ।
