राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने लोकसभा में किया प्रश्न

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मंदसौर – सांसद सुधीर गुप्ता ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर लोकसभा में प्रश्न किया। सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्राथमिक से विश्व विद्यालय स्तर तक सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सरकार द्वारा की गई या की जा रही विभिन्न पहलों का ब्यौरा क्या है। विगत तीन वर्षों में इस प्रयोजनार्थ वर्ष वार कितनी बजट राशि निर्धारित की गई है। देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाले राज्यों की संख्या कितनी है। क्या ऐसा कोई राज्य है जिसने अभी तक इस नीति को लागू नहीं किया । उन्होने कहा कि देश के सभी राज्यों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सरकार द्वारा अन्य और क्या कदम उठाए गए हैं। उठाए जा रहे हैं। क्या सरकार का माध्यमिक स्तर पर शिक्षा को व्यवसाय एवं कौशल उन्मुख बनाने का कोई विचार हैए ताकि बारहवी कक्षा पूरी करने के बाद छात्रों को रोजगार मिल सके। क्या सरकार ने यह पता लगाने के लिए कोई अध्ययन किया है कि विद्यालयों में मध्याहन भोजन के साथ नाश्ता शुरू करने से विद्यालय छोड़ने की दर में काफी कमी आ सकती है।
प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों और उद्देश्य के अनुसरण में स्कूल शिक्षा में कई पहले शुरू की गई है जैसे ग्रेड 3 के अंत तक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करने के लिए समझ के साथ पढ़ने और संख्या ज्ञान, निपुण भारतद्ध के लिए राष्ट्रीय दक्षता पहल, विद्या प्रवेश तीन महीने के खेल आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल संबंधी दिशा निर्देश, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान द्वारा माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा निष्ठा स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के समय विकास के लिए राष्ट्रीय पहल 1.0 2.0 और 3.0 शैक्षणिक प्रबंधन में शिक्षकों, प्रमुख शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और अन्य स्टेकहोल्डरों के लिए स्कूल शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, ग्रेड 3ए 5 और 8 आदि के लिए सीबीएसई, स्कूलों में दक्षता आधारित मूल्यांकन हेतु सफल ;अधिगम स्तरों का विश्लेषण करने के लिए संरचनाबद्ध मूल्यांकनद्ध है। इसी तरह, उच्चतर शिक्षा में विभिन्न पहले सुधार किए गए हैं जैसे अकादमिक क्रेडिट बैंक, एबीसीद्धय शैक्षणिक कार्यक्रमों में एक से अधिक प्रवेश ध्निर्गम उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं को बहुविषयक संस्थाओं में रूपांतरित करना, कॉमन विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा इंटर्नशिप प्रशिक्षुता एम्बेडेड डिग्री कार्यक्रम ऑनलाइन और ओडीएल शिक्षा, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम टिविनिंग, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के लिए भारतीय और विदेशी उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं के मध्य अकादमिक सहयोग एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित करनाय उच्चतर शैक्षिक संस्थाओं में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठों की स्थापना, प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, स्नातक कार्यक्रम के लिए पाठ्यचर्या और क्रेडिट फ्रेमवर्क, आदि विषयों पर कार्य किए जा रहे है।
उन्होने बताया कि शिक्षा नीति को लेकर हर वर्ष बजट में बढ़ोतरी की गई। जिसमें 2020-21 में 99311.52ए 2021-22 में 93224.31 एवं 2022-23 में 107277.72 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए।
सरकार द्वारा कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के बाद शिक्षा मंत्रालय अन्य संबंधित मंत्रालयों, विभाग, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों एवं उनके अधीन क्रियान्वयन एजेंसियों ने एनईपी 2020 के क्रियान्वयन की दिशा में पहल शुरू की है। क्रियान्वयन के दौरान, कुछ राज्यों ने एनईपी 2020 से संबंधित कुछ मुद्दों पर अपनी समस्याएँ व्यक्त की थीं। उनकी समस्याओं को दूर करने और एनईपी क्रियान्वयन हेतु नवाचारी विचारों पर विचार-विमर्श करने के लिए भी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ कार्यशालाओं / परामर्श -सह- समीक्षा बैठकों की श्रृंखला आयोजित की गई है।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग केंद्र प्रायोजित योजना ’समग्र शिक्षा’ की परिधि के महत स्कूल शिक्षा के व्यावसायिकीकरण की पहल क्रियान्वित कर रहा है। योजना का उद्देश्य सभी माध्यमिक/ वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में सामान्य अकादमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करना, छात्रों की नियोजनीयता और उद्यमशील क्षमताओं को बढ़ावा देना, काम के माहौल का एक्सपोजर और विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में छात्रों में जागरुकता पैदा करना; ताकि वे अपनी अभिरूचियों, क्षमताओं और आकांक्षाओं के अनुसार चयन करने में सक्षम हो सके। योजना में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल शामिल हैं। योजना के तहत, राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचा (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को योजना के अंतर्गत शामिल किए गए स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए प्रस्तुत किया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए). 2013 के प्रावधानों के अनुसार, कक्षा 1- 5 में पढ़ने वाले बच्चे अथवा 6-14 वर्ष के आयु समूह वाले बच्चे अवकाश को छोड़कर प्रतिदिन निःशुल्क एक मध्याहन भोजन के हकदार है जिससे अधिनियम में उल्लिखित पोषण मानको को पूरा किया जा सके। तद्नुसार, पीएम पोषण योजना (पूर्व में स्कूलों में राष्ट्रीय मध्याहन भोजन कार्यक्रम के रूप में जाना जाता था) के तहत स्कूल के सभी कार्य दिवसों में पात्र बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।