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मनासा मे बे खौफ चल रहा जुआ

करीब 40लाख का रोज लगता हैं दाव

*नीमच मनासा* बे खौफ चल रहा मनासा में घोड़ी दाने का सिस्टम 25 लोगों की भूमिका… 6 घंटे का खेल… बारी-बारी से 100 जुवारी. खेलते हैं जुआ… करीबन 40 लाख का लगता है प्रतिदिन दाव…. दो रास्तों पर 18 जुवारी के गुर्गे देते हैं पल-पल का अपडेट इनको दिए जाते हैं प्रतिदिन के ₹500… जहां पर जमता है अड्डा उसे खेत वाले को दिए जाते हैं ₹5000 प्रतिदिन…… तार फिनिशिंग कर हरि नेट लगाकर फर्श पर बैठकर खेला जाता है घोड़े दाने जुवे का खेल….. डामरीकरण रोड पुलिया के समीप कच्चे रास्ते से पहुंचते हैं जुवारीयों के अडै पर…..हर जुआरी को 1 घंटे के देने होते है ₹500.. एक बार पर 30 लोगों की लगती है महफिल… 2:00 बजे से शुरू होता है जमावड़ा 8:00 बजे तक चलता है खेल…. इसमें चार लोग 1 फाइनेंसर… जो प्रतिदिन के हिसाब से लेते हैं व्याज पूरा सिस्टम नेताजी वह पुलिस प्रशासन की मिली भगत से चलता है……… यहां चलता है जुआ मनासा विधानसभा क्षेत्र में आने पुलिस अधीक्षक का डर सताने लगा हैं…

वाला गांव के खेत पर बना जुवारी का बड़ा अड्डा….. मंदसौर नीमच जिले व राजस्थान छोटी सादड़ी के निंबाहेड़ा के आते हैं बड़े जुवारी…… जुआ माफिया फिर हुए सक्रिय, घोड़ी दाने का सज रहा अड्डा, लाखों रुपए के लग रहे बड़े-बड़े दाव……… नीमच। मध्य प्रदेश के अंतिम छोर में बसे नीमच जिले में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के नाम से जाना जाता है। यही नहीं अब जुआ माफियाओं के नाम से भी नीमच शहर जाने जाना लगा है। एक समय जिले के कई थाना क्षेत्रों में मोटी मासिक बंदी देकर वैखौफ होकर जुआ सट्टा माफिया सक्रिय हैं.. बावजूद जिले में अब पुलिस अधीक्षक अंकित जायसवाल ने पदभार ग्रहण कर लिया है उनकी पहली प्राथमिकता अवैध मादक पदार्थों, व जुआ माफियाओं से लेकर आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ अंकुश लगाने का प्रयास रहेगा । अब देखना है इस अड्डे पर कब करवाई होती है…

जुआ माफियाओं को पुलिस अधीक्षक का डर सताने लगा हैं… जुआ माफिया एक बार फिर सक्रिय हो चुके हैं। जुआ माफियाओं ने अपना अड्डा मनासा क्षेत्र के गांव को बना लिया है। अवैध कारोबार
जमा कर जुआ का महाकुंभ चला रहे हैं। यहां जुआ माफिया इसलिए पनप रहे हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र राजस्थान के निम्बाहड़ा छोटी सादड़ी में जुआ पूरी तरह से बंद हो चुका है। यहां पुराने ही जुआ माफिया पार्टनरशिप में एक बड़े जुएं को संचालित कर रहे हैं। जिससे उनकी भाषा में घोड़ी दाने का अगुल-अगुल का खेल यहां (क्लब) कहां जाता है। जुआरियों की महफ़िल दोपहर से ही सजती है। जिसके बाद एक-दो घंटे बित जाने के बाद जुआ अपने पूरे शबाब पर आ जाता है। बता दे जुआ माफिया राउंड के हिसाब से प्रति व्यक्ति के हिसाब से खिलाड़ियों के पैसे लेते हैं। खिलाड़ी भी लाखों रुपए लेकर अपनी किस्मत घोड़े दाने में आजमाते हैं। जिसकी किस्मत चमकतीं है वहां राजा जैसे निकलता है। और जिसकी किस्मत खराब हो वहां अपनी कीमती चीजें भी जुआरियों को बेच देता है। हारे हुए खिलाड़ियों चीज भी गिरवी खरीदने के लिए आदमी अलग से खड़े रहते हैं। साथ ही फाइनेंसर वाले लोग भी अलग खड़े रहते हैं। जिन्हें माफियाओं की जुबान में दुकान कहां जाता है। यहां लोग हारे हुए खिलाड़ियों की कीमती चीज रखकर पैसा देते हैं। इसके बदले वहां 100 गुना पैसा वसूल लेते हैं। जैसे दस हजार पर एक हजार रूपए रोजाना इसका भी जुआ माफियाओं ने अलग ही नाम दिया है उनकी भाषा में ब्याज नहीं चूंगी, के रुपए कहां जाता है। जुआ माफिया सफेद पोस्ट नेता व पुलिसकर्मियों से सांठगांठ कर अपने अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। अब देखना यहां होगा कि ईमानदार पुलिस अधीक्षक इन माफियाओं पर क्या एक्शन लेते हैं। यह देखने वाली बात होगी

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