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शिक्षा के माध्यम से संस्कारो का बीजारोपण करना मुख्य लक्ष्य होना चाहिए- राष्ट्रसंत श्री कमलमुनि जी

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मंदसौर। शिक्षा के माध्यम से संस्कृति संस्कार का बीजारोपण एवं चरित्र निर्माण ही मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।
उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मगरोड़ा एवं दाबड़ा विद्यालय में व्यक्त किए।संतश्री ने कहा कि कर्तव्य का बोध कराना उसके प्रति समर्पित होना सबके मन में यें भावना होनी चाहिए। पर्यावरण, नशा मुक्ति, सद्भाव, अहिंसा विश्व शांति और मानवीय संवेदना से सभी ओतप्रोत हो तभी मानवता का विकास होगा।
मुनि श्री कमलेश ने बताया कि शिक्षा का अर्थ मात्र डिग्री प्राप्त करना नहीं होता है, बल्कि नैतिकता का विकास करना भी है। ये ईमानदारी से पुष्पित पल्लवित हो तभी शिक्षा की सार्थकता है।
राष्ट्रसंत ने कहा कि महापुरुषों के सिद्धांतों को आदर्शों को शिक्षा में प्रवेश दिया जाए।
संत श्री ने कहा कि सभी धर्मों की न्यूनतम समान शिक्षाओं के पास आने पर परस्पर दूरियां खत्म होगी, सद्भाव का निर्माण होगा तथा राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी।
शासन प्रभावक भव्य मुनि आगम ज्ञाता गौतम मुनि ने भी बच्चों को संबोधित किया। सरपंच गोपीलाल मीणा, उप प्रधान चुनी लाल मीणा ने राष्ट्रसंत के आगमन पर 5 बीघा जमीन गौशाला हेतु एवं कामधेनु सर्कल बनाने का संकल्प लिया। प्रधानाचार्य जगदीश कच्छावा, ज्ञानचंद मल्हारा, कमलेश मल्हारा, विकास मल्हारा, पंकज कुमार मल्हारा ने भी राष्ट्रसंत का स्वागत करते हुए विद्यालय परिवार में बच्चों को प्रसाद वितरित किया। 25 नवंबर प्रातः 8:00 बजे संतश्री का प्रतापगढ़ में मंगल प्रवेश होगा। 27 नवंबर तक यहाँ रूकने की संभावना है। यहाँ 9:00 बजे आनंद भवन में प्रवचन होंगे।

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