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क्या होंगे इस परिणाम के दूरगामी परिणाम..!

प्रसंगवश

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क्या होंगे इस परिणाम के दूरगामी परिणाम..!

( ब्रजेश जोशी)

मंदसौर। लोकसभा चुनाव के परिणाम का दिन भारी उतार – चढ़ाव रहा। ओर आने वाले कुछ दिन और भारत की राजनीति में और भारी साबित होने वाले हैं। इधर हार का एहसास कराती जीत चुभ रही है। दूसरी और बहुमत से दूर होने पर भी परिणाम सुकून दे रहा है। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को बहुमत लायक आंकड़े तो मिल गए हैं। लेकिन 400 पर का सपना चकनाचूर हो गया तो बहुमत के आंकड़े को करीब लाती यह जीत भी एनडीए को हार का एहसास करा रही है जबकि उधर बहुमत से दूर चुनाव परिणाम भी कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के दलों को सुकून दे रहा है। एक पक्ष जीतकर भी खुश नहीं है तो दूसरा बहुमत से दूर होकर भी खुश है। हालांकि सत्ता के लिए आने वाले दिनों में खूब जोर आजमाइश होगी घटक दलों को तोड़ने की जोड़ने की कवायदें भी चलेगी।

आंकड़ों की तस्वीर में तो एनडीए को सत्तासीन होने लायक बहुमत तो मिल गया है। सतई तौर पर कहा जा सकता है कि एनडीए की सरकार बन सकती है नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।

लेकिन यह राजनीति है साहब यहां सुबह की स्थिति दोपहर में और दोपहर की स्थिति शाम और रात में बदल जाती है। कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता।

चुनाव परिणाम की समीक्षा में यही बिंदु सबसे ज्यादा मुखरित हो रहे हैं कि 400 पार का जो आभामंडल तैयार किया गया था इसका असर क्यों नहीं हुआ राम मंदिर के निर्माण के बाद भी अयोध्या में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। काशी से नरेंद्र मोदी महज डेढ़ लाख वोटो के अंतर से ही जीते जबकि उनके नाम से मिले वोटो की खेती की फसल भाजपा ने कई क्षेत्रों में काटी है मध्य प्रदेश में तो भाजपा के लिए इससे सर्वश्रेष्ठ कोई परिणाम हो ही नहीं सकता पूरी 29 की 29 सीटें भाजपा की झोली में है मंदसौर संसदीय क्षेत्र की यदि बात करें तो सुधीर गुप्ता ने तो अब तक की सर्वाधिक बड़े अंतर की जीत दर्ज कर कीर्तिमान रच दिया। इस संसदीय क्षेत्र से नौ बार विजय श्री प्राप्त करने वाले डॉ. लक्ष्मी नारायण पांडे ने भी इतने भारी मतों के अंतर से कभी भी जीत का चेहरा नहीं देखा था।

बड़े ही विचित्र से परिणाम आए हैं। भाजपाई खेमे में अधिक सीटें जीतने की भी खुशी नहीं है। क्योंकि 400 पार तो ठीक ये लाइनें लिखे जाने तक तो एनडीए 300 का आंकड़ा भी नहीं छू रहा था। कांग्रेस के शिविर में बहुमत से कोसों दूर रहने का कोई गम नहीं है। इंडिया गठबंधन के आंकड़े ही कांग्रेस को सत्ता के नजदीक जाने का स्वप्न दिखा रहे हैं।

बहरहाल इन चुनावों के परिणामों ने लोकतंत्र की परिपक्वता तो एक नए परिवेश में प्रस्तुत किया है। मतदाताओं ने जता दिया कि निर्णय हम चाहेंगे जैसा देंगे। वे ना तो किसी आभा मंडल से सम्मोहित होंगे ना ही आंख बन्द कर अपने मत का इस्तेमाल करेंगे। अब अगले कुछ दिनों में यह देखना सभी के लिए उत्सुकता का विषय रहेगा कि बहुमत लायक सीटें तो मिल गई तो क्या एनडीए की ही सरकार बनेंगी..या इंडिया गठबंधन कोई उठा पठक कर सरकार बनाएगा।

और सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न तो यह है कि यदि एनडीए ही पुनः सत्तासीन होता है तो क्या नरेन्द्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे..?

बहरहाल इन परिणामों के दूरगामी परिणाम क्या होंगे यह देखना व जानना सभी की उत्सुकता है।

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