सरस्वती शिशु मंदिर में व्यक्ति निर्माण के साथ- साथ भैया बहनों की कलाओं को निखारा जाता- मंत्री श्री डंग

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शामगढ़/ गरोठ।सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मालवा प्रांत उज्जैन मंदसौर विभाग के मार्गदर्शन में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर शामगढ़ में वार्षिकोत्सव /रंगमंचीय कार्यक्रम आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव पर आधारित मंथन उत्सव रंगमंचीय कार्यक्रम भारतीय संस्कृति एवं देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री हरदीप सिंह डंग (नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री (म.प्र.शासन) मुख्य वक्ता श्री पंकज पंवार प्रांतप्रमुख (विद्या प्रतिष्ठान मालवा उज्जैन), विशिष्ट अतिथि डॉक्टर श्री शैलेन्द्र पाटीदार( पूर्व छात्र सरस्वती शिशु मन्दिर शामगढ ) एवं अध्यक्षता श्रीमती कविता नरेंद्र यादव (नगर परिषद अध्यक्ष शामगढ़)श्री गोपाल कालरा विवेकानंद शिक्षण समिती अध्यक्ष कार्यक्रम में उपस्थित रहे अतिथियों का परिचय विवेकानंद शिक्षण समिती के सचिव श्री राजेश पाटीदार द्वारा किया गया । मुख्य अथिति श्री हरदीप सिंह डंग का स्वागत प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष श्री श्रीराम चौहान ने एवं सदस्य श्री सूर्यप्रकाश पुरसवानी ने किया, मुख्य वक्ता श्री पंकज पंवार का स्वागत समिति सचिव श्री राजेश पाटीदार ने किया,विशिष्ट अथिति श्री शैलेन्द्र पाटीदार का स्वागत विद्यालय के प्राचार्य श्री प्रवीण पुरोहित ने किया, अध्यक्षता श्रीमती कविता नरेंद्र यादव का स्वागत समिति की सहसचिव श्री मधुबाला जैन दीदी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंत्री श्री डंग ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर में व्यक्ति निर्माण किया जाता है और व्यक्ति निर्माण के साथ- साथ भैया बहनों की कलाओं को निखारा जाता है इसलिए अभिभावकों को सरस्वती शिशु मंदिर में ही भैया बहनों को प्रवेश दिलवाना चाहिए ।
विशिष्ट अतिथि डॉ पाटीदार ने कहा कि अंको से भैया बहनों की पहचान नहीं होती भैया बहनों में उनकी कलाओं के निखार के द्वारा वह किसी भी स्थिति में असफल नहीं होता है वह मार्गदर्शक रहता है तो शिक्षक के माध्यम से रहता है एवं शिक्षक ही उसका महत्वपूर्ण गुरु होता है ।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री पंकज पंवार ने कहा कि विद्यालय संस्कृति की खोज है ऐसा नहीं कि विद्यालय में शिक्षण ही देना हमारा कार्य है अपितु हमारा विद्यालय पौराणिक बातों की याद दिलाता है और इसको स्मरण कर देश सेवा की प्रेरणात्मक प्रेरणा देता है भैया बहनों में शिक्षण के अलावा अन्य गतिविधियों का विकास भी होना आवश्यक है केवल शिक्षा से भैया बहनों का विकास नहीं होता अपितु उसके लिए उसे हर कलात्मक बातों का ज्ञान उसे होना चाहिए जिसको प्रेरणा देने का महत्वपूर्ण योगदान अभिभावकों का होता है।
