रतलाममध्यप्रदेश

समाचार रतलाम मध्यप्रदेश 31 दिसंबर 2022 शनिवार

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प्रवासी श्रमिक आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य का भ्रमण कार्यक्रम

रतलाम 31 दिसम्बर 2022/ म.प्र. राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग के अध्यक्ष श्री भागचंद उइके तथा सदस्य श्री विनोद रिछारिया आगामी 3 जनवरी को रतलाम कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में दोपहर 3.00 बजे प्रवासी श्रमिकों से संवाद के उद्देश्य से विभिन्न श्रमिक संघों की बैठक लेगे। उनका रात्रि विश्राम रतलाम में रहेगा। ।

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मुख्यमंत्री श्री चौहान की अपील और कृषि विभाग के प्रोत्साहन से चंद्रभानसिंह 36 बीघा में कर रहे हैं जैविक खेती

रतलाम 31 दिसम्बर 2022/ मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा किसानों से की जा रही जैविक खेती की अपील से प्रभावित होकर जिले के धामनोद के कृषक श्री चंद्रभानसिंह चौधरी द्वारा 36 बीघा में जैविक खेती की जा रही है। श्री चौधरी रबी तथा खरीफ दोनों ही मौसमों में जैविक खेती कर रहे हैं, शुद्ध जैविक उपजा रहे हैं।

बीएससी प्रथम वर्ष उत्तीर्ण श्री चौधरी किसानों के लिए जैविक खेती के क्षेत्र में आदर्श बने हैं। लगभग 4 वर्ष पूर्व उन्होंने जैविक खेती में हाथ बढ़ाएं, कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन और जानकारियों को आधार बनाकर श्री चौधरी ने सोयाबीन, मक्का, अरहर जैसी फसलों में रासायनिक खाद का बिल्कुल भी इस्तेमाल करना बंद कर दिया। इसके साथ गेहूं, चना जैसी रबी फसलों में भी रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कतई नहीं करते हैं। श्री चौधरी उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र में भी अग्रगामी होकर उद्यानिकी कृषक की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। उनके द्वारा केला, अमरूद, आम जैसी उद्यानिकी फसलें ली जा रही हैं। दिन में रासायनिक खाद का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

इसके साथ ही उन्होंने 2 वर्ष पूर्व हिमाचल प्रदेश से ऑनलाइन सेवफल के 70 से 80 पौधे मंगाकर अपनी भूमि में लगाए है। आगामी फरवरी माह में फल आने वाले हैं। उनका कहना है कि लगातार रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही थी। रासायनिक खेती से बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति घटने से लागत बढ़ती जाती है। मुनाफा कम होता जाता है। सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए श्री चौधरी ने अपनी 36 बीघा संपूर्ण भूमि में जैविक खेती करना शुरू की।

श्री चौधरी ने जब जैविक खेती का आरंभ किया तो रासायनिक खाद एवं पेस्टिसाइड्स नहीं डालते हुए प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटकों जैसे वीजा अमृत, जीवामृत, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र वापसा जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का उपयोग किया। खेती में मल्चिंग तथा अंतर्भरती फसलों को लिया गया। देसी खाद के लिए दो गायों का पालन भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विगत 2 वर्षों में उन्होंने 5 बीघा भूमि में गेहू की फसल ली जिस पर लागत 41 हजार 500 रुपए आई। 45 क्विंटल उपज हुई, बाजार भाव 3200 प्रति क्विंटल के मान से 1 लाख 44 हजार रुपए की आय प्राप्त हुई। शुद्ध मुनाफा 1 लाख 2 हजार रुपए मिला जो रासायनिक खेती की तुलना में दुगना है। उन्होंने किसानों से आग्रह भी किया है कि वह ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक खेती करें। बीमारियों की रोकथाम में मददगार बने अपने पर्यावरण भूमि जल को स्वच्छ बनाए रखने में योगदान दें। श्री चंद्रभान चौधरी का मोबाइल नंबर 99260 15122 हैं।

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नल जल योजना से ग्राम आडापथ की महिलाओं की राह सुगम हुई

रतलाम 31 दिसम्बर 2022/ जल जीवन मिशन के अंतर्गत रतलाम जिले के ग्राम आड़ापथ की महिलाओं की राह सुगम हो गई है। पहले पानी के लिए गांव के आड़े, तिरछे रास्तों से होकर दूर पानी लेने के लिए जाना पड़ता था लेकिन जल जीवन मिशन की नल जल योजना ने अब महिलाओं की राह को सीधा और सुगम बना दिया है। अब गांव के हर घर में नल से जल आ रहा है और जीवन की राह भी आसान हो गई है।

रतलाम जिले के बाजना विकासखंड के आदिवासी ग्राम आडापथ में पानी की जबरदस्त किल्लत थी। गांव की समस्या के मद्देनजर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के तहत गांव को पानी उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई। लगभग 50 लाख रुपये खर्च करके गांव में 2 वर्ष पूर्व योजना का क्रियान्वयन पूर्ण कर दिया गया था। आदिवासी बाहुल्य बाजना विकासखंड का आडापथ गांव ऐसा पहला गांव था जहां पर विकासखंड के तहत जल जीवन मिशन की पहली योजना का क्रियान्वयन किया गया। गांव की लगभग 800 जनसंख्या को नल जल योजना द्वारा पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके लिए गांव में दो सफल ट्यूबवेल खनन किए गए हैं जिनके माध्यम से 207 घरों में पानी पहुंच रहा है। गांव में बड़ी टंकी बनाई गई है, पाइप लाइन बिछाई गई हैं।

गांव की गौराबाई चौहान, अमराजी चौहान तथा गांव के सभी नागरिक नल जल योजना के आने से खुश हैं। सभी के घरों में नल से जल आ रहा है। ग्रामीण आदिवासी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं जिनकी योजना से गांव की परेशानी दूर हुई। पानी का आडा तिरछ पथ अब आसान राह में परिवर्तित हो गया है।

गांव में नल जल योजना के क्रियान्वयन के पश्चात गांव की महिला स्वयं सहायता समूह को जलकर वसूली का कार्य ग्राम पंचायत द्वारा सौंपा गया जिसमें शामिल महिलाएं बखूबी अपने दायित्व को अंजाम दे रही है। समूह की सदस्य श्रीमती चपलीबाई का कहना है कि गांव में जलकर राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा प्रोत्साहन राशि के रूप में महिलाओं को प्राप्त होता है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास आया है, वह आगे तरक्की की ओर नई राहें खोज रही है। चपलीबाई का मोबाइल नंबर 84354 63989 है।

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिला घनश्याम को

रतलाम 31 दिसम्बर 2022/ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जिले में बड़ी संख्या में किसानों के लिए लाभदायी सिद्ध हुई है। योजना का लाभ उठाकर किसानों ने अपनी आमदनी में अपेक्षित वृद्धि पाई है। रतलाम जिले के विकासखंड पिपलौदा के ग्राम चिकलाना के रहने वाले किसान श्री घनश्याम भी उन किसानों में शामिल हैं जिनको प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिला है। योजना में उनको मिनी स्प्रिंकलर खरीदने के लिए 63 हजार रुपए का अनुदान लाभ मिला है।

किसान घनश्याम को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मिनी स्प्रिंकलर खरीदने के लिए मिली अनुदान सहायता से फसल उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि की राह आसान हुई है। वर्ष 2021-22 में योजना के तहत उनको अनुदान मिला जिससे स्प्रिंकलर खरीदकर 1.4 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई की जाने लगी है। स्पिंकलर के माध्यम से सिंचाई एक समान होने से पौधों की वृद्धि तथा उत्पादन में बढोत्तरी होती है। घनश्याम के 1.4 हेक्टेयर रकबे में जहां पूर्व में परम्परागत सिंचाई से लहसुन की फसल 42 क्विंटल होती थी, वहीं स्प्रिंकलर लगने के पश्चात् फसल उत्पादन 70 क्विंटल हो गया। इससे लाभ की मात्रा भी बढकर 1 लाख 25 हजार रुपए से बढकर 2 लाख 40 हजार रुपए हो गई है। घनश्याम योजना का लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को हृदय से धन्यवाद देता है। घनश्याम का मोबाइल नम्बर 9713677268 है।

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शीत लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए सुझाव

रतलाम 31 दिसम्बर 2022/ शीत लहर दिसम्बर एवं जनवरी में घटित होती है जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ने के कारण मृत्यु होना भी संभावित है। शीत लहर का नकारात्मक प्रभाव वृद्ध जनों एवं 05 वर्ष के छोटे बच्चों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों बेघर व्यक्तियों दीर्घकालिक बीमारियों से पीडित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीत लहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है।

शीत लहर एवं सर्द माहों के दौरान घरों में उपयोग किए जाने वाले हीटर/फायर पॉट आदि का बंद कमरों में उपयोग करने के कारण कॉर्बन मोनासाइड पॉयजन का भी खतरा होना संभावित है। इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शीत लहर और पाले की रोकथाम और प्रबंधन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। शीत लहर से बचाव के लिए अस्पतालों में व्यवस्थाओं की नियमित समीक्षा सर्द माहों में जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा खण्ड चिकित्सा अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित किया जाए। शीतघात के कारण जन मानस में उत्पन्न लक्षणों की त्वरित पहचान एवं फर्स्ट एड की उचित व्यवस्था समस्त अस्पतालों में रहे।

शीत लहर पाले से पहले बचाव के लिए गर्म वस्त्र एवं कई परतों में कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए। आकस्मिक स्थितियों के उपाए के लिए घर में रसद एवं अन्य सामग्रियों की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए। शीत लहर के दौरान नाक बहना, नाक बंद होना, फ्लू, नाक से खून आने जैसे लक्षण सामान्यतः पाए जाते है जिसके लिए तत्काल निकटस्थ चिकित्सक से सलाह प्राप्त की जाए।

शीत लहर से बचाव के लिए यात्रा कम करना चाहिए एवं घर के अंदर रहना चाहिए। ऊनी कपड़ों के कई परतों द्वारा सिर गर्दन एवं पैरों की ऊंगलियों को ढकना चाहिए। विटामिन सी युक्त फल एवं सब्जियों का पर्याप्त सेवन करना चाहिए ताकि रोग प्रतिरोधक समता एवं शारीरिक का तापमान संतुलित रहे। शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए गरम तरल पदार्थों का नियमित सेवन करना चाहिए। आपस में रहने वाले वृद्धजन एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। बंद कमरों में कोयला अगीठी या अलाब का उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इनसे उत्सर्जित खतरनाक कार्बन मोनोऑक्साईड गैस से मृत्यु होना संभावित है।

फॉस्टबाईट के लक्षण जैसे ऊगलियों, कान, नाक अथवा पैर की ऊगलियों की सफेदी या फीकापन शीत लहर के दौरान देखे जा सकते हैं। फॉस्टबाईट के दौरान कंप-कपी आना, बोलने में कठिनाई होना, अधिक नींद आना, मासपेशियों में अकडन, सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी जैसे लक्षण के साथ-साथ बेहोशी भी हो सकती अल्पताप एक मेडिकल आकस्मिकता है जिसके लिए तुरन्त चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।

अल्पता से ग्रस्त व्यक्ति को तुरंत गर्म कपड़े पहनाए एवं उष्ण स्थान पर रखे। शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए कंबल, कपडे, टॉवेल शीट आदि की कई परतों से शरीर को ढके। गरम पेय पदार्थ देकर शारीरिक तापमान को बढ़ाए। लक्षणों के बढ़ने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें। वहीं अल्पताप के लक्षण होने पर लंबे समय तक ठंड में रहने से बचे। मदिरापान से बचे क्योंकि इससे शारीरिक तापमान घटता है एवं हथेलियों की रक्त धमनियों में संकुचन होने से अल्पताप की अधिक संभावना होती है।फॉस्टबाईट के लक्षण वाले अंगों को न मलें, इससे अधिक क्षति हो सकती है। शारीरिक तापमान के घटने का प्रथम लक्षण कपकपी होती है। इसको अनदेखी न करते हुए तत्काल घर के अंदर रहे।।

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