आध्यात्ममंदसौरसीतामऊ

जब थोड़ा सा धन लाभ व्यक्ति को प्राप्त हो जाता तो उसकी चाल बदल जाती है पर जब परम धन कि प्राप्ति हो जाए तो परम आनंद “परमानंद” कि प्राप्ति हो जाती है -डा कृष्णानंद जी 

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भव्य कलश यात्रा एवं महाराज श्री की शोभायात्रा के साथ सीतामऊ में श्रीमद् भागवत कथा हुई प्रारंभ

संस्कार दर्शन

सीतामऊ । श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस घटिया स्टोन मर्चेंट मंदसौर रोड़ से अंतर्राष्ट्रीय संत डॉ. कृष्णानंद जी महाराज के भव्य स्वागत वंदन अभिनंदन के साथ भव्य कलश यात्रा का आयोजन ढोल धमाके बैंड बाजे एवं नागरिकों धर्म प्रेमी जनता द्वारा जय-जय श्री कृष्णा के जयकारे के साथ कलश यात्रा प्रारंभ हुई कलश यात्रा एवं महाराज श्री की शोभायात्रा बड़ी संख्या में महिलाओं पुरुषों के साथ महाराणा प्रताप चौराहा से होकर लाडली लक्ष्मी मार्ग बस स्टैंड से राजा टोडरमल मार्ग होकर पोरवाल मांगलिक भवन पहुंची।

इस अवसर पर जगह जगह महाराज श्री का स्वागत वंदन एवं गंगा कलश की पूजा अर्चना नागरिकों द्वारा की गई। सभी नागरिकों का श्री राधेश्याम घाटिया श्री रामदयाल घाटिया श्री सुनील घाटिया एवं घाटिया परिवार जनों द्वारा अपने कर कमलों से आत्मीय अभिनंदन किया।

शोभायात्रा के अवसर पर बस स्टैंड संत गुरुदेव डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने जबरिया हनुमान जी महाराज कि पुजा अर्चना कर सर्वे भवन्तु सुखिन कि कामना की। श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन गुरुदेव डॉ कृष्णानंद जी महाराज ने उपस्थित भक्त जनों को ज्ञानामृत पान कराते हुए कहा कि 88 हजार ऋषियों ने एकत्रित होकर परमात्मा की प्राप्ति के लिए एकांत स्थान नैमिषारण्य वन को चुना। संत श्री ने कहा कि जिसकी जो चाहना होती है उसे पाने के लिए जिसके पास है उसके पास जाना होगा । सुख प्राप्ति के लिए सुखी के पास जाना पड़ेगा पर दुखी के पास जाने से दुख ही मिलेगा। उसी प्रकार आनंद की प्राप्ति के लिए परमात्मा परमानंद को अपने चित्त में एकाकार होकर आगे बढ़ना पड़ेगा। संत श्री ने कहा कि कथा में सुख देवजी कहते हैं कि शौनक ऋषि ने परमात्मा की प्राप्ति के लिए प्रश्न किया कि भगवन हमने क्या कमी है हे भगवन हमारा काम क्रोध या झूठ से हमें निवृत्त कर दो और हमारा मन भगवत मय हो वह ज्ञान प्रदान कर दो। संत श्री ने कहा कि जब थोड़ा सा धन लाभ व्यक्ति को हो जाता है तो उसकी चाल बदल जाती है नाचने लगता है पर जब परम धन की प्राप्ति हो जाए तो उसे परम आनंद की प्राप्ति हो जाती है। श्रीमद् भागवत कथा झंझटों से मुक्ति प्रदान करती हैं सुतजी ने कहा कि एक बार नाराद जी ने विचार किया कि मैंने स्वर्ग लोग और ब्रह्मलोक की देख लिया है अब मुझे मृत्यु लोग भी देखना चाहिए तो वह कैसा है नाराद जी विणा लेकर और अपने होठों पर तथा चित्त में भगवान नारायण का वास लेकर मृत्यु लोक की ओर निकल पड़े।

संत श्री ने कहा कि जब हम कहीं जा रहे हैं और कोई संत या भक्त भगवान के भजन भक्ति में लीन मिल जाए तो समझ लेना कि हमारा जीवन धन्य हो गया है और ऐसे संत नगर में निकल जाते तो नगर पवित्र हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्ति के पुत्र ज्ञान और वैराग्य को मरणासन्न स्थिति से फिर से जवान हो गए। वैसे ही हमको भी अंहकार मद लोभ आदि से दुर कर एक नया ज्ञान का आवरण प्रदान करती है। संत श्री ने कहा कि हम घर में पूजा तो रोज करते हैं पर मन लगाकर नहीं करते हैं यदि मन लगाकर पूजा करें और थोड़ी सी भक्ति चित में उतर जाए तो जीवन आनंद में हो जाता है जिस प्रकार से दही बनाने के लिए एक या दो चम्मच जामन डालते हैं और दही बन जाता है वैसे ही भगवान के प्रति भक्ति भाव में जो खो जाता हैं वह परमानंद को प्राप्त कर लेता है। संत श्री ने कहा कि भगवत कथा हमारे ज्ञान वैराग्य को जगाती हैं।

कथा में सुत जी कहते हैं कि कथा के सुनने से प्रेत भटकती आत्मा (दानव) जीवन का अंत होकर देवता बन जाता है तो हम इस भागवत कथा को जीते जी सुन रहे हैं।

संत श्री ने कहा कि हम आज की भाग दौड़ में बढ़ रहे हैं सबको ज्ञान है कि जितना हम इकट्ठा कर रहे हैं सब यहीं रह जाएगा पर फिर भी हम इकट्ठा करने में लगे हुए हैं और अपनो से दुर होकर अपने जीवन के आनंद को खत्म कर रहे हैं। जितना समय हम इधर-उधर दे रहे हैं उसमें से थोड़ा भी समय हम भगवान को देते हैं तो भगवान हमें भी संकट के समय अपना समय देता है ।

संत श्री ने कहा कि जिस प्रकार से धुंधली केवल नाच गाना और अपने सिंगार में व्यस्त रहती थी वह ब्राह्मणी होकर भी राक्षसी जीवन व्यतीत करती थी उसके घर में ना दीपक जलता ना पूजा-पाठ होता है ना किसी संत महात्मा का मेहमानों का आगमन होता था। केवल वह अपने स्वार्थ में डूबी हुई रहती थी।

संत श्री ने कहा कि जिस घर दीपक नहीं जलता पूजा पाठ नहीं होती, जहां संत महात्मा मेहमानों का आदर सत्कार नहीं होता और परिवार के सदस्यों में अनबन रहती है क्लेश होता रहता है वहां परम आनंद परमानंद नहीं रहता वहां सब कुछ नष्ट हो जाता है।

कथा के प्रारंभ में घटिया परिवार एवं उपस्थित धर्म प्रेमी जनता ने श्रीमद् भागवत पोथी पूजन कर महा आरती कर महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में नगर एवं क्षेत्र तथा मंदसौर शामगढ़ सुवासरा सहित बाहर के नागरिकों गणमान्य जनों, महिला पुरुषों ने कथा का श्रवण लाभ प्राप्त किया। कथा के दौरान स्वागत अभिनंदन समारोह का संचालन पोरवाल समाज अध्यक्ष श्री मुकेश कारा ने किया।

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