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मानवाधिकार की रक्षा हेतु प्रखर पहरी बने जिला विधिक सेवा प्राधिकार, इसमें मीडिया की भूमिका अहम। सचिव      

मानवाधिकार की रक्षा हेतु प्रखर पहरी बने जिला विधिक सेवा प्राधिकार, इसमें मीडिया की भूमिका अहम। सचिव

 

 

बिहार औरंगाबाद से:– धर्मेंद्र गुप्ता

 

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में अन्तर्राट्रीय मानवाधिकार दिवस पर व्यवहार न्यायालय स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकार के परिसर में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रभारी सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम श्री सुनील कुमार सिंह जिला विधि संघ के अध्यक्ष श्री रसिक बिहारी सिंह, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री सुदीप पाण्डेय सहित पैनल अधिवक्ता, एवं पारा विधिक स्वयं सेवक सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन श्री अभिनन्दन कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा मीडिया कर्मियों, मीडिया ग्रुप, पत्रकारों तथा उपस्थित सभी लोगो को मानवाधिकार दिवस की शुभकामनाऐं दी जो मानवाधिकारों को जागृत करने मे सामाजिक प्रहरी का प्रखर योद्धा की भूमिका में रहते हैं। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री सुनील कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत की प्रकृति में ही बसा है भले ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर, 1948 को मानवाधिकार दिवस घोषित किया परन्तु भारत का इतिहास एवं स्वाभाव वसुधैव कुटुम्बकम की रही है जो प्राचीन काल से मानव सभ्यता में रची बसी है, फिर भी सामाजिक कुरीतियों के कारण जो समस्याऐं सामने आई उसे प्रबुद्ध समाज न्यायपालिका एवं सरकारों ने उन कुरीतियों को कानून के माध्यम से समाप्त करने का प्रयास किया गया है तथा आगे भी हम सबको इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहनी है जिन्हें जरूरत हो जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से उनके अधिकारों को दिलाने में हर संभव प्रयास करेगा। मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम में उपस्थित जन समुह को सम्बोधित करते हुए इतिहास के कई तथ्य रखे जो प्रेम के साथ-साथ भारतीय परम्परा को इंगित करता है और भारतीय महापुरूष चाहे भगवान राम हो, कृष्ण हो, बुद्ध हो, सभी ने प्रेम और अहिंसा की बात की है जो मानवाधिकार का सर्वोतम उदाहरण है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री सुदीप पाण्डेय ने कहा कि मानवाधिकार दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुसार मानव को समानता का अधिकार दिलाने हेतु मानवाधिकार दिवस की शुरूआत 10 दिसम्बर 1948 को की इसी की परिणति में इस वर्ष का मानवाधिकार दिवस का थीम सभी के लिए गरीमा, स्वतंत्रता और न्याय है और यही मूल मंत्र भी है मानवाधिकार की।

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