औरंगाबादधर्म संस्कृतिबिहार

नातिन ने निभाया बेटे का फर्ज, नाना की चिता को मुखाग्नि दि।

नातिन ने निभाया बेटे का फर्ज, नाना की चिता को मुखाग्नि दि।

 

 

औरंगाबाद:– बिहार

 

 

अब वह जमाना गया जब कहा जाता था की की पुत्र बिना गति नहीं परंतु बिहार के औरंगाबाद ज़िला के अम्बा प्रखंड के देव रोड डुमरा निवासी रामबिलाश सिंह के नातिन आशिका सिंह जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार के प्रदेश सह मंत्री व सच्चिदानन्द सिंह कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष ने अपने नाना को कंधा भी दिया और अग्नि भी.. लगभग एक वर्ष पूर्व से स्वास्थ्य हालत सही न होने के वजह से अम्बा औरंगाबाद और पटना
स्थित रूबन हॉस्पिटल,पटना आईजीएमएस, पीएमसीएच जैसे दर्जनों हॉस्पिटल में आशिका ने इलाज करवाने का प्रयास किया पिछले दो महीने पूर्व पटना के एक अस्पताल में आइसीयू में रखने के बाद भी जब डॉक्टर ने यह कह दिए की हार्ट ब्लॉक हो गया है अब उम्मीद कम है बस एक दो दिन से ज़्यादा जीने की उम्मीद न है फिर भी कहते हैं न जब दवा और डॉक्टर काम न आए तो फिर सेवा और भगवान से की गई प्रार्थना और पूजा ही एक मात्र भरोसा रह जाता है उसी प्रकार आशिका ने क़रीब एक साल से ज़्यादा सेवा किया और जीवन जीने का सहारा बनी बिस्तर पर ही पड़े रहते और ख़ाना पीना बिस्तर पर ही होता था रोज़ स्नान कराना सेवा कर लगातार मौत से बचाने का प्रयास आशिका ने किया
परंतु कहते हैं न जो नियति को मंज़ूर होता है कोई रोक न सकता और अठारह तारीख़ को अचानक थोड़ी परेशानी होने लगी फिर डॉक्टर से सलाह लेना दवा दिया फिर कुछ नार्मल हुआ और रात में सोए और अचानक उनकी 19 नवम्बर दिन शनिवार को मृत्यु हो गई
रामबिलास सिंह गाँव के ज़मींदार थे
और उन्होंने कईं ऐसे गरीब परिवारों को दान में जमीन दे दिया था जिनका परिवार आज घर बनवाकर फसल उगाकर सम्पन्न जिंदगी जी रहे
गरीब बेटियों की शादी में पैसे देकर मदद करना हो चाहे जरूरतमंदों का इलाज के पैसे कपड़े दान करना ये सब उनके स्वभाव में था जिनसे प्रेरणा लेकर ही आज अशिका ने भी समाज सेवा करने लगी और एक अलग पहचान बनाया है उनका सपना था कि अपने हाँथों ओ नातिन का कन्यादान करें परंतु अशिका सिंह के द्वारा उन्हें मुखाग्नि देना पड़ा कहा जाता है कि हिंदू मान्यताएँ के अनुसार शव यात्रा में शामिल होने,अर्थी को कंधा देने देने और मुखाग्नि देने जैसे कर्मकांड पुरुष ही करते हैं ! महिलाओं की भूमिका घर तक ही सीमित है परंतु अशिका सिंह ने अर्थी को कंधा भी दिया और वाराणसी श्मशान घाट पर उन्हें मुखाग्नि भी दिया और पूरे कर्म कांड कर रही हैं ! और नातिन होने का फर्ज निभा रही है ! आशिका का लालन पोषण भी नाना और नानी ने किया था ।नाना के कोई पुत्र नही थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}