एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील ,गांधी सागर बांध के 62 वर्ष पूर्ण हूए

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मंदसौर। जिले में एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील बनी हुई है जो कि अपने आप में अद्वितीय अद्भुत एवं अलौकिक मीठे पानी की झील है यह झील का निर्माण सन 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा गांधी के जन्मदिन के दिन इसकी स्थापना की थी मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध की पूर्ण क्षमता 1312 फिट इसके कुल 19 गेट जिसमें 9 बड़े और 10 छोटे गेट हैं इस बांध की आधारशिला 7 मार्च 1954 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी जोकि पूर्ण रूप से बनकर 19 नवंबर 1960 तैयार हुआ यहां पर एक बिजलीघर की स्थापना भी की गई थी जहां से बिजली भी बनकर प्रदेश को रोशन करती हैं
इस बांध के निर्माण के समय 204 गांव पूरी तरह डूब चुके थे जिसमें डेढ़ सौ गांव आंशिक रूप से डूबे थे
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस बांध के निर्माण करने वाले उस समय के इंजीनियर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था
आज गांधी सागर बांध को बने 62 वर्ष हो चुके हैं उसके बाद भी यह बेहतरीन इंजीनियरिंग का नतीजा है कि आज तक इस बांध का कुछ भी नहीं बिगड़ा है 2019 में हुई अतिवृष्टि की वजह से अधिकारियों की लापरवाही से गांधी सागर बांध को खतरे के मुंह पर खड़ा कर दिया था 14/ 15 सितंबर 2019 की दरमियानी रात में भारी पानी की आवक से बांध के ऊपर से पानी निकलने लगा था बैकवॉटर लगभग डेढ़ सौ गांव में घुस गया था वही नीमच जिले के रामपुरा में भी बांध बनने के बाद पहली बार पानी घुस गया था जो काफी दिनों तक वही भरा रहा उधर बांध का जलस्तर बढ़ने की वजह से बिजली घर में भी पानी घुस गया था सभी टरबाइन खराब हो गए थे जिसमें से दो ही सुधर पाए लेकिन भगवान का लाख-लाख शुक्र रहा कि बांध के कुछ भी नहीं बिगड़ा और अजय योद्धा के सामान बांध आज भी खड़ा है