जीवन की बिगड़ी दशा सुधारती है दशा माता, नगर में दो स्थानों पर हुआ दशा माता पूजन व कथा
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महिलाओ ने की दशा माता की पूजन, करि परिवार के सुख समृद्धि की कामना की
दलौदा (शुभम धोका)
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं। कई लोगों के जीवन में यह कम समय के लिए आते हैं, तो कई लोग जीवनभर परेशानियों से जूझते रहते हैं। ऐसे में उनके परिवार की, जीवन की दशा बिगड़ जाती है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन की दशा बिगड़ी हुई होती है तो उसे अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है, और जब दशा अच्छी होती है तो उसका जीवन सुखद होता है। जीवन की इसी बिगड़ी हुई दशा को सुधारने के लिए दशामाता का पूजन किया जाता है।
दलोदा स्टेशन शीतलामाता मंदिर पर पंडित बाबूलाल जोशी दलौदा रेल द्वारा एवं प्रगति चौराहे स्थित शीतला माता मंदिर पर पंडित जगदीशचंद्र शर्मा और उनकी पत्नी अनिता शर्मा ने महिलाओ को राजा नल पर रानी दमयंती के जीवन मे दशामाता ने कोप की पौराणिक कथा सुनाकर दशा माता पूजन का महत्व बताया और विधि पूर्वक पूजन संपन्न कराई।
पंडित शर्मा ने बताया कि इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लाकर उसमें 10 गांठ लगाती है और पीपल के पेड़ की पूजा करती है। डोरे की पूजा करने के बाद पूजन स्थल पर नल दमयंती की कथा सुनती है। इसके बाद इस डोरे को गले में बांधती है। पूजन के बाद महिलाएं घर पर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। व्रत रखते हुए एक ही समय भोजन करती हैं। भोजन में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई करके अटाला, कचरा सब बाहर फेंक दिया जाता हैं। दक्षा माता पूजन से एक दिन पूर्व ग्राम पंचायत द्वारा माता पूजने के स्थानों पर साफ सफाई करवाई व महिलाओं को धूप से बचने व बैठने के लिए टेंट की व्यवस्था भी करवाई गई।