एक देश एक चुनाव में उम्मीदवारों की शिक्षा, उम्र ,स्वास्थ्य, अपराध, उप चुनाव, आचार संहिता पर भी हो विचार -प्रीतेशसिंह राव
मंदसौर। एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति को भेजे गए सुझाव मे मांग की गई की उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता, स्वास्थ्य, उम्र, अपराध, बार-बार के होने वाले उपचुनाव और लगने वाली आचार संहिता पर भी विचार होना चाहिए।
एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति को चुनावों में सुधार को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राव प्रीतेश सिंह ने एक पत्र प्रेषित किया जिसमें कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव वाले देश भारत जहां चुनाव में ग्राम पंचायत से संसद तक एक उत्सवी माहौल रहता है सबकी सहभागिता, उत्साह ,उल्लास इसमें रहता है ऐसे देश में एक देश एक चुनाव को लेकर जो काम चल रहा है वह सराहनीय है ताकि चुनावी प्रक्रिया में सुधार होने के साथ-साथ चुनावी व्यवस्थाओं, व्यस्तताओं व खर्चों पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। बार-बार की लगने वाली आचार संहिता से जो काम प्रभावित होते हैं, रुकावटें आती हैं उससे भी निजात मिलेगी एक देश एक चुनाव की परिकल्पना लोकतंत्र को मजबूत करेगी।
देश की प्रगति लोकतंत्र की मजबूती के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में वर्तमान समय के साथ-साथ कुछ सुधार होना भी आवश्यक लगता है । उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता, स्वास्थ्य, उम्र, अपराध, उप चुनाव, आचार संहिता सहित मुफ्त योजनाओं पर भी विचार किया जाना आवश्यक है।
शैक्षणिक योग्यता –
जनप्रतिनिधि का शिक्षित होना ही नहीं पद के अनुरूप उच्च शिक्षित होना भी आवश्यक है जब एक छोटे से पद के लिए भी उच्च शिक्षित बड़ी डिग्री धारी आवेदन करते हैं तो ऐसे में देश की दिशा रीति व नीति तय करने वाले जनप्रतिनिधियों का भी शिक्षित होना बहुत आवश्यक है, जिसमें …
सांसद विधायक > स्नातक
महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष > स्नातक ( सीधे चुनाव में)
पार्षद नगर निगम, नगर पालिका > 12वीं
जिला पंचायत सदस्य > स्नातक या 12वीं
जनपद पंचायत सदस्य > 12वीं
नगर पंचायत अध्यक्ष > दसवीं (सीधे चुनाव में)
नगर पंचायत पार्षद > आठवी या दसवीं
ग्राम पंचायत सरपंच > दसवीं (सीधे चुनाव में)
ग्राम पंचायत पंच > आठवी या दसवीं
इन शैक्षणिक योग्यताओं के नियम से योग्य शिक्षित युवा पीढ़ी को भी आगे आने का अवसर मिलेगा।
उम्र एवं स्वास्थ्य –
जब एक शासकीय कर्मचारी तय उम्र सीमा में सेवानिवृत हो जाता है तो जनप्रतिनिधियों की सेवानिवृत्ति की समय सीमा क्यों नहीं ? शासकीय कर्मचारी के कार्य क्षेत्र का दायरा बहुत सीमित होता है जबकि जनप्रतिनिधियों का असीमित उन्होंने हर विभाग देखना पड़ता है साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक, क्षेत्रिय, राजकीय ,राष्ट्रीय, संगठनात्मक सहित अनेक गतिविधियों में निरंतर सक्रिय रहना पड़ता है ऐसे में उनका स्वस्थ होना व उनकी उम्र सीमा आवश्यक है। स्वास्थ्य उत्तम है तो 70 प्लस भी चलेंगे और यदि असक्त ,अस्वस्थ है तो उम्र के पहले ही भी चुनाव के लिए अयोग्य किए जाएं। उम्र व स्वास्थ्य का पैमाना स्वस्थ मजबूत नेतृत्व के लिए आवश्यक है।
बार-बार के उप चुनाव पर रोक
बार-बार के होने वाले उपचुनाव देश के समय, संसाधन व धन की बर्बादी का कारण बनते हैं। निर्वाचित जनप्रतिनिधी के कार्यकाल का आधे से अधिक समय बीत जाने के बाद यदि किसी जनप्रतिनिधि की पद पर रहते हुए असमय मृत्यु हो जावे या अन्य किसी कारण से पद से अयोग्य करार देकर हटाया जावे तो उपचुनाव करवाए जाने की बजाय उसके स्थान पर विजयी दल के द्वारा घोषित अन्य व्यक्ति को उस स्थान पर नियुक्त किया जा सकता है। जिस तरह से सरकारी कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाने पर अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान है ठीक उसी तरह यंहा भी नियुक्ति का प्रावधान होना चाहिए। निर्दलीय जनप्रतिनिधि की स्थिति में दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी के बारे में विचार किया जा सकता है। उपचुनाव ना होने से धन व समय दोनों की ही बचत होगी।
आचार संहिता
निर्वाचन के दौरान लागू होने वाली आचार संहिता के दायरे में सभी आ जाते हैं जिससे आम जनता का जन जीवन भी प्रभावित होता है, जब चुनाव नेता लड़ते हैं और आम जनता का मुख्य कार्य तो मतदान दिवस के दिन होता है ऐसे में आचार संहिता की कड़ाई नेताओं व राजनीतिक दलों पर ही प्रभावी रूप से लागू होना चाहिए आम जनता के सार्वजनिक, धार्मिक, सार्वजनिक, व सामाजिक आयोजनों को राहत मिलना चाहिए। ज्यादा कडाई वाली आचार संहिता से आम जनता ही परेशान होती है उसी के आयोजन प्रभावित होते हैं। उम्मीदवार अगर किसी ऐसे आयोजन में उपस्थित हो तो उस पर आचार संहिता के नियम लागू होना चाहिए।
अपराधीयों ,भ्रष्टाचारियों की रोकथाम
राजनीति में अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की रोकथाम बहुत आवश्यक है, यह राष्ट्र विकास व जनहित सुरक्षा में बाधक हैं ,अवरोध हैं। किसी भी नेता जनप्रतिनिधि पर गंभीर अपराध या अन्य मुकदमा दर्ज होने पर मामले की गंभीरता के आधार पर उन्हें फैसला न आने तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए जिससे राजनीतिक का शुद्धिकरण हो सके।
सही हो निर्वाचन का समय
निर्वाचन महज एक सरकारी प्रक्रिया ही नहीं लोकतंत्र का महोत्सव है जिसमें जनता की उत्साह व उल्लास पूर्ण भागीदारी होती है ऐसे में निर्वाचन तिथियों का चयन सारी परिस्थिति को देखकर करना उचित होता है वर्तमान में मध्य प्रदेश व राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव की तारीखों ने असमंजस व परेशानी का वातावरण निर्मित किया क्योंकि यह भारतवर्ष के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े त्यौहार नवरात्रि, दशहरा, दीपावली के मध्य संपन्न हुए सिर्फ त्यौहार ही नहीं यह कई जगह कार्तिक मेलों का भी समय रहता है। निर्वाचन की इन तिथियों के दौरान आम जन त्योहारों में व्यस्त तो किसान व मजदूर खेतों में व्यस्त थे, धान की कटाई , व्यापारी त्योहारी सीजन को लेकर दुकानों में व्यस्त था। कर्मचारी चुनाव की प्रशिक्षण और तैयारी में लगा होने से परिवार को त्योहार वाला समय नहीं दे पाया त्यौहार के दिनों में भी उसे चुनावी ड्युटिया करना पड़ी। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी असमंजस में रहे कि काम धंधा करें, घरों पर त्योहारों की तैयारी करें या चुनाव प्रचार में जावे कुल मिलाकर सभी के लिए परेशानी भरा समय इस चुनावी कार्यक्रम का रहा किसी भी महत्वपूर्ण त्यौहार या अवसर के निकट चुनाव नहीं कराई जाए।