अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस:आने वाले कल की इबारत लिख रही बेटियां
गरोठ। विकासखंड गरोठ के ग्राम बोलिया शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल मैं भी विश्व बालिका दिवस मनाया गया |कार्यक्रम के शुभारंभ में अतिथि परिचय के पश्चात बोर्ड परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंकों से परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली बालिकाओं को स्काउट स्कार्फ द्वारा वरिष्ठ अध्यापिका कीर्ति सेन ने स्वागत किया गया। कार्यक्रम की भूमिका में जिला स्काउट काउंसलर जी.एल.भावसार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत।कनाडा सरकार ने एक आम सभा में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। साल 2011 में 19 दिसंबर के दिन संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 11 अक्टूंबर के दिन बालिका दिवस मनाने का फैसला लिया और 11 अक्टूंबर 2012 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। स्काउट प्रभारी राजेंद्र पांडे ने कविता जिसके बोल “गांव की बेटियां भी किसी से काम नहीं होती,
मिले थोड़ी सी रोशनी तो जगमगा उठती है” को भावनात्मक रूप से लय मे गाकर तथा समझाकर छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए कहा कि एक बच्ची के जन्म से लेकर परिवार में उसकी स्थिति,शिक्षा के अधिकार और कैरियर में महिलाओं के विकास में आने वाली बधाओं को दूर करने के लिए जागरुकता फैलाना ही अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य है बताया ।प्रभारी प्राचार्य दीपचंद पाटीदार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि आज बेटियां किसी के लिए बोझ नहीं है,बल्कि वह दूसरों का बोझ अपने सिर पर उठा रही है,शहर की कुछ ऐसी बेटियां भी है जो खुद के साथ अपने परिवार का बोझ उठा रही है,कोई सामाजिक कुरीतियां,बाल विवाह,बाल मजदूरी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर डटकर काम कर रही है,तो कोई पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब कर खुद अपनी कमाई से पढ़ाई और अपने परिवार का खर्च उठा रही है | कार्यक्रम में विकासखंड जनपद शिक्षा केंद्र गरोठ से बीएससी अशोक पाटीदार के साथ ही विद्यालयीन स्टाफ उपस्थित रहा |कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ एडवांस स्काउट अध्यापक वीरेंद्र पाटीदार ने किया तथा आभार संस्था के ही अध्यापक राजेंद्र सिसोदिया ने माना |