धर्म संस्कृतिमंदसौरमध्यप्रदेश

हरि और हर दोनों कि आराधना के लिये विशेष हैं इस बार श्रावण मास

ज्योतिष दर्शन 

श्रावण मास में पौधारोपण करने से पारिवारिक सुख की वृद्धि होती और ग्रह नक्षत्रों कि कृपा प्राप्त होती 

इस बार संवत 2080 में 59 दिवसीय श्रावण मास में शिव आराधना के साथ ही मध्य में पड़ने वाले पुरुषोत्तम मास में भगवान पुरुषोत्तम अर्थात नारायण कि आराधना भी विशेष शुभफलदाई हैं।

आंग्ल तिथि 04 जुलाई 2023 से प्रारम्भ होकर 31अगस्त 2023 तक पुण्य पवित्र श्रावणमास रहेगा।

इस बार प्रतिवर्षनुसार श्रावण कृष्ण पक्ष में आने वाले पर्व प्रथम श्रावण के कृष्ण पक्ष में तथा श्रावण शुक्ल पक्ष में आने वाले पर्व द्वितीय श्रावण के शुक्ल पक्ष में मनाये जायेंगे।

जो शिव भक्त श्रावण स्नान इत्यादि आराधना करते हैं वे 04 जुलाई से प्रारम्भ करके 31अगस्त द्वितीय श्रावण पूर्णिमा तक शिवाराधना करेंगे क्योंकि अधिक मास को अलग न मानते हुए दोनों मासो को एक ही माना जायेगा…

श्रावण सोमवार व्रत उपासना करने वाले शिव भक्त दोनों श्रावण में पड़ने वाले सोमवार को आराधना करेंगे– 10जुलाई,17जुलाई ,24जुलाई ,31जुलाई, 07अगस्त, 14अगस्त, 21अगस्त, 28अगस्त को श्रावण सोमवार रहेगा।

इसी प्रकार मंगला गौरी व्रत करने वाली बहनें दोनों श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करेंगी(मंगलागौरी व्रत विशेषकर कन्याओ के द्वारा अखंड सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता पार्वती और भगवान शिवजी के आशीर्वाद कि कामना से किया जाता हैं), तथा अन्य विशेष त्यौहार जैसे प्रथम श्रावण में प्रदोष एवं मासिक शिवरात्रि 15जुलाई,30जुलाई को प्रदोष तथा द्वितीय श्रावण में प्रदोष 13अगस्त, मासिक शिवरात्रि 14अगस्त,एवं 28अगस्त को सोम प्रदोष को रहेंगे । नाग पंचमी 21अगस्त को तथा रक्षाबंधन महापर्व 30अगस्त 2023 को मनाया जायेगा।

रुद्राभिषेक- वैसे तो कहा गया है कि 

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्।

त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

भगवान शिव त्रिदल वाले एक बिल्व पत्र से ही प्रसन्न होकर पापो का नाश करके मनवांछित इच्छा पूरी करते हैं, फिर भी  जैसे श्री गणेश को दूर्वा, देवी को अर्चन उसी प्रकार भगवान शिव को अभिषेक अति प्रिय हैं। श्रावण मास में श्रद्धा,प्रेम और निष्काम भाव से शुद्ध जल मात्र से अभिषेक करने से भगवान शिव कि विशेष कृपा प्राप्त होती हैं, फिर भी अलग अलग कामनाओ कि पूर्ति के लिये अलग अलग द्रव्यों से अभिषेक किया जाता हैं।

इस श्रावण मास में सबसे विशेष बात यह हैं कि अधिक मास (जो कि पुरुषोत्तम मास माना जाता हैं)भी श्रावण में ही आ रहा हैं, पुरुषोत्तम मास में अपने स्व इष्ट या भगवान विष्णु कि विशेष आराधना अति शुभ फलदाई रहती हैं, इस पुरुषोत्तम मास में द्वादशाक्षर मन्त्र जप,विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ,श्रीमद्भगवत महापुराण पठन या श्रवण बहुत ही पुण्यदाई रहता हैं। पुरुषोत्तम मास  18जुलाई से 16 अगस्त 2023तक रहेगा।

स्कंदपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनत्कुमारो ने जब भगवान शिव से पूछा की हे महादेव अब तक हम सभी व्रत-उपवास-नियम-कर्म आदि के बारे में जान चुके है, लेकिन अब हम जानना चाहते हैं कि बारह मासों में ऐसा कौन सा माह है, जिसमें तप करने से सभी प्रकार के पुण्य कर्मों की सिद्धि होती है, शिव कृपा प्राप्ति होती है एवं जो आप को सबसे अधिक प्रिय हैं।

तब भगवान शिव ने श्रावण मास का माहात्म्य बताते हुए कहा कि —

द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।। 

श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।

अर्थात-

मासो में श्रावण मास मुझे अत्यंत प्रिय है, श्रावण मास का माहात्म्य श्रवण योग्य है, इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है तथा इसके माहात्म्य श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है अतः उसे श्रावण मास कहा जाता है।

भगवान शिव ने श्रावण मास के महत्व को बताते हुए इस माह में किए जाने वाले सभी व्रत-उपवास-उपासना-नियम एवं उन व्रतों से मिलने वाले पुण्य फल के बारे में बताया।

स्कंद पुराण के अनुसार सनत्कुमारो के पूछने पर भगवान शिव कहते हैं कि -श्रावन मास में श्रद्धा भक्ति पूर्वक शिवलिंग का रुद्राभिषेक, षडंग,नमक-चमक,लघु रूद्र ,अति रूद्र- एवं नाना प्रकार के पदार्थों से अभिषेक करने से ओर रुद्रसूक्त या पुरुष सूक्त का पाठ करने से मनुष्य सभी प्रकार के पापों से मुक्त होकर शिव धाम को प्राप्त करता है।

वह इस तप के बल से मन-इंद्रियों पर नियंत्रण कर सकता है, जिससे उसे इस जन्म में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में शिव चरणों में स्थान मिलता है।

श्रावण मास में शिव उपासना काल में ब्रह्मचर्य-सत्यता-निश्चलता का पालन करें .व्रत उपासना आदि करें ।इस प्रकार भगवान शिव ने सावन मास का माहात्म्य सनतकुमारो को बताया।

मानव जाति का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है- प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा अतः इसे ध्यान में रखते हुए सभी का यह दायित्व है कि कम से कम पांच पौधे श्रावण मास में जरूर लगाएं।शास्त्रों में भी कहा गया है कि श्रावण मास में पौधारोपण करने से पारिवारिक सुख की वृद्धि होती है।

प्रकृति ने जो हमें दिया है पौधारोपण के द्वारा उसका ऋण चुकाने का यह एक बहुत ही शुभ अवसर है।

पौधारोपण से मात्र पर्यावरण शुद्धि ही नहीं अपितु हमारे भीतर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है, अनेक प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है ।देवी-देवताओं ग्रह-नक्षत्रों की कृपा प्राप्त होती है.

सावन मास पौधारोपण के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है सावन मास के माहात्म्य को भगवान शिव ने सनत्कुमारो को बताया जिसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है। फिर भी नि:स्वार्थ भाव से पवित्रता धारण कर सभी प्रकार के भोगों का त्याग कर भगवान शिव की आराधना करें यह मानव जाति के लिए बहुत ही शुभ फलदायक है।

-ज्योतिषाचार्य पंडित यशवंत जोशी

जय दुर्गा ज्योतिष सेवा संस्थान

एवं अनुष्ठान केंद्र मंदसौर

7024667840,8085381720

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