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आंतरी माताजी भक्तों को नवरात्रि में देती सप्त सुंदरी के रूप में दर्शन, मां के धाम देश ही नहीं विदेश के भक्त भी दर्शन करने आते

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कुकड़ेश्वर राजू पटेल।

मां आंतरी का चमत्कारिक मंदिर चर्मरावंती चंबल नदी क्षेत्र में निर्मित है। देवी मां आंतरी चंद्रावत राजपूतों की कुलदेवी है।

मनासा नगर से करीब 35 कि लोमीटर दूर आंतरी माता गांव में यह प्राचीन मंदिर है। मंदिर के पुजारी भारतसिंह राठौड़ बताते हैं कि देवी मां का मंदिर करीब 700 साल से पुराना है। मंदिर के एक ओर गांव है और बाकी तीन ओर चंबल नदी का पानी रहता है। देवी मां के दर्शन व पूजन के लिए चैत्र व शारदीय नवरात्र में दूर-दूर से भक्त आते हैं। मप्र-राजस्थान के लोगों की देवी मां के प्रति आगाध आस्था है।

मां के धाम को लेकर ऐतिहासिक पहलु –

आंतरी माता के राव सेवाजी खेमा के स्वप्न में मां आंतरी आई थीं। उन्होंने आंतरी माता गांव में विराजित होने की मंशा जताई थी। इसके बाद विक्रम संवत्‌ 1329 में देवी मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गई। यह मंदिर करीब 3.5 साल की अवधि में विक्रम संवत 1333 में बनकर तैयार हो गया। उस समय मंदिर निर्माण पर करीब 7 हजार 332 रुपए खर्च हुए थे। राव सेवाजी खेमा चंद्रावत राजपूत थे।

गोद आते हैं, उन्हें ही पूजा का मौका-

आंतरी माता मंदिर से जुड़ा एक मिथक है कि जो व्यक्ति पुजारी के घर गोद आता है, वही देवी मां की पूजा करता है। पुजारी भारतसिंह राठौड़ बताते हैं कि देवी मां की सेवा व पूजा करने वाले पुजारियों के यहां संतान नहीं होती। अब तक सभी पुजारी गोद आए हुए बच्चे हैं। मैं भी पुजारी नारायणजी राठौड़ के घर गोद आया था।

पत्थर पर मां के वाहन का पदचिह्न-

हनुमान घाट के पत्थर पर मां के वाहन का पदचिह्न अंकित है। जहां पूजा-अर्चना होती है तथा दूसरा पदचिह्न मंदिर पर अंकित है। देवी स्वयं प्रतिष्ठित हुई है और भैंसावरी माता के नाम से भी जानी जाती है। गर्भगृह में दाईं ओर शेर की सवारी पर मां दुर्गा की दिव्य प्रतिमा है।

मध्य प्रदेश नीमच मंदसौर जिले की विश्व प्रसिद्ध चमत्कारी शक्तिपीठ माता आतरी माता जी निति दिन के दर्शन नवरात्रि के पंचम दिवस दिन मां स्कंदमाता के रूप में दर्शन माता आती है मां के दरबार में मध्य प्रदेश नहीं देश-विदेश से लोग मां के दर्शन करने  आते हैं।

जन चर्चाओं के अनुसार मां 1 दिन में सात सुंदरी रुप धारण करती है 7 रूप में दर्शन देती है । भक्तों को हर पहर हर घड़ी में मां के आत्मीय दर्शन होते हैं ।

मां से आशीर्वाद के लिए भक्तों कि भक्ति भी निराली- 

ऐसी जनश्रुति है कि भक्त मां से अपनी मनोकामना का आशीर्वाद मांगते हैं और जब पुरी होती है तो आंतरी धाम पर आकर देवी दर्शन मां के यहां भक्त लोग अपनी जुबान काट कर चढ़ा कर चले जाते हैं।  मां की कृपा से पुनः जुबान कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। मां के द्वार पर आने वाले सच्चे मन से ध्यान कर मन्नत करते उन पर मां फिर कृपा बरसाती है ।नवरात्रि पर्व शक्ति की भक्ति का पर्व पर मां के यहां भक्त लोग नवरात्रि में उनकी मन्नत पूरी होने पर नंगे पांव पैदल चलते हैं निर्वस्त्र होकर कड़कती धूप में तपती सड़क पर कांच पथरीली जमीन पर लौटते लौटते मां के दरबार पहुंचते हैं । मां हर दुख सुख में साथ देती है ।देवी मां के मंदिर के पिछले हिस्से में संतान की कामना के साथ महिलाएं उल्टा स्वस्तिक बनाती हैं। मन्नत पूर्ण होने या संतान प्राप्ति होने पर महिलाएं पुनः मंदिर आती हैं और सीधा स्वस्तिक बनाकर देवी मां को धन्यवाद ज्ञापित करती हैं।

मंदिर के आसपास हमेशा ऐसा नजारा देखने को मिलता है हमेशा मेला लगा रहता है एवं मंदिर की अद्भुत आकृति देखने को मिलते हैं मंदिर के चारों तरफ पानी ही पानी दिखता है।

पुजारी के अनुसार देवी मां सभी की मुरादें व मन्नतें पूरी करती है। मन्नत पूरी होने पर सन्‌ 1964 में आंतरी माता गांव के ही गुलाब मेघवाल ने जीभ अर्पित की। बाद में उसकी जीभ आ गई। इसके बाद से मंदिर में जीभ अर्पित करने का क्रम शुरू हो गया।

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